हमारी जीवन यात्रा में एक आवर्तक कठिनाई क्षणिक ज़रूरतों पर अत्यधिक केन्द्रित होकर भूल जाना है कि हमारे पास क्या है l मुझे यह ताकीद मिली जब हमारी कलीसिया की गायक-मण्डली ने भजन 103 पर आधारित एक गाना गया l “हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना” (पद. 2) l हमारा प्रभु क्षमाशील, चंगा करनेवाला, छुड़ानेवाला, प्रावधान करनेवाला, संतुष्ट करनेवाला, और नया करनेवाला है (पद.4-5) l हम कैसे यह भूल सकते हैं? फिर भी हम भूल जाते हैं जब दैनिक जीवन की घटनाएँ हमारे ध्यान को अत्यावश्यक्ताओं, पुनरावर्ती पराजय, और अनियंत्रित परिस्थितियों की ओर ले जाती है l

भजनकार हमें याद दिलाता है, “यहोवा दयालु और अनुग्रहकारी है …. उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हमको बदला दिया है l …. उसकी करुणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है” (पद.8,10-11) l

विश्वास की हमारी राह में, हम अपनी अयोग्याताओं के साथ यीशु मसीह के पास दीनता से आते हैं l उसका अनुग्रह प्राप्त करते समय और उसके अपरिमित प्रेम से अभिभूत होकर भी हममें अधिकार का कोई भाव नहीं होता l ये केवल हमें उसके उपकार स्मरण कराते हैं l

“हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे!” (पर.1) l