ठण्डी, बर्फीली सर्दियों में हम मिशिगन निवासियों को बसंत की आशा संभालती है l मई महीने में आशा पूरी होती है l रूपांतरण अद्भुत है l मृत दिखती डालियाँ मई 1 से आरंभ होकर माह के अंत तक हरी पत्तियों वाली टहनियों में बदलकर अभिवादन करती हैं l यद्यपि दैनिक परिवर्तन अहस्तांतरनीय है, माह के अंत तक मेरे घर के अहाता के वृक्ष धूसर से हरे हो जाते हैं l

परमेश्वर ने सृष्टि में विश्राम और नवीनीकरण का चक्र बनाया है l हमें दिखाई देनेवाली मृत्यु परमेश्वर के लिए विश्राम है l और जिस तरह विश्राम नवीकरण की तैयारी है, मृत्यु पुनरुत्थान की तैयारी है l

मुझे प्रत्येक बसंत में वृक्षों को जागते देखना पसंद है, क्योंकि उनकी ताकीद है कि मृत्यु एक अस्थाई स्थिति है और कि इसका उद्देश्य नए जीवन की तैयारी है, एक नया आरंभ, कुछ और बेहतर के लिए l “जब तक गेहूं का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है; परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है” (यूहन्ना 12:24) l

जबकि पराग-कण बसंत की मुसीबत है l वह मेरे फर्नीचर को ढक देती है और इससे लोगों को चीकें आती हैं, यह याद दिलाती है कि परमेश्वर वस्तुओं को जीवित रखने के व्यवसाय में है l और मृत्यु के दुःख पश्चात्द, वह उसके पुत्र में विश्वास करनेवालों को महिमामय पुनरुत्थान की प्रतिज्ञा देता है l