दासत्व में जन्मी और किशोरावस्था में सताई गई, हैरिएट टबमैन (लगभग 1822-1913) माँ द्वारा सुनाई गई बाइबल कहानियों से आशा प्राप्त की l इस्राएल का दासत्व से निकलना उसे ऐसा परमेश्वर दिखाया जो अपने लोगों को स्वतंत्र करना चाहता था l

हैरिएट ने मेरिलैंड राज्य की शरहद पार कर दासत्व से स्वतंत्रता प्राप्त की l किन्तु, जानते हुए कि अनेक अभी भी दासत्व में हैं, वह संतुष्ट नहीं रही l उसने, व्यक्तिगत् खतरे को नज़रंदाज़ करके एक दर्जन बचाव मिशन चलाए l उसने कहा, “मेरी मृत्यु केवल एक बार ही हो सकती हूँ l”
हैरिएट जानती थी : “जो … आत्मा को घात नहीं कर सकते, उनसे मत डरना” (मत्ती 10:28) l यीशु ने अपने चेलों को प्रथम मिशन पर भेजते हुए ये बातें कहीं l वह जानता था वे खतरों का सामना करेंगे, और सब उन्हें प्रेम से ग्रहण नहीं करेंगे l तो चेलों को जोखिम में क्यों डालना? उत्तर पिछले अध्याय में है l “जब उसने भेड़ को देखा तो उसको [यीशु] लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों के सामान जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे” (9:36) l

जब हैरिएट टबमैन दासत्व में लोगों को नहीं भूल सकी, उसने हमें मसीह का रूप दिखाया, जो हमें पापों में नहीं देख सका l उसका साहसी नमूना हमें उनको याद करने हेतु प्रेरित करता है जो संसार में आशाहीन हैं l