जानकार कि हमारी अच्छी मित्र सिन्डी को कैंसर हो गया है हम अत्यधिक दुखी हुए l सिन्डी एक जोशपूर्ण स्त्री थी जिसके जीवन से सभी मिलने वाले आशीषित हुए l कैंसर में सुधार होने पर हम पति-पत्नी आनंदित हुए, किन्तु कुछ महीने बाद बीमारी बदला लेने लौटी l हमारी समझ में मृत्यु के लिए उसकी उम्र बहुत कम थी l उसके पति ने उसके अंतिम घंटों के विषय बताया l जब सिन्डी दुर्बल और बात करने में अक्षम हो गई, उसने उससे फुसफुसाकर कहा, “मेरे साथ रहो l” उस अंधकारपूर्ण क्षण में वह केवल उसकी प्रेममय उपस्थिति चाहती थी l

इब्रानियों के लेखक ने व्यवस्थाविवरण 31:6 का सन्दर्भ देकर अपने पाठकों को सहानुभूति दिया, जब परमेश्वर ने अपने लोगों से कहा : “मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूँगा” (इब्रा. 13:5) l जीवन के अंधकारपूर्ण क्षणों में, उसकी प्रेममय उपस्थिति का आश्वासन हमें भरोसा देता है कि हम अकेले नहीं हैं l वह हमें सहने के लिए अनुग्रह देता है, जानने के लिए बुद्धि कि वह कार्य कर रहा है और आश्वासन कि मसीह “हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी” होता है (4:15) l

आज हम उसकी प्रेममय उपस्थिति को गले लगाएं ताकि हम निश्चितता से कह सकें, “प्रभु मेरा सहायक है, मैं न डरूंगा” (13:6) l