दो वर्षों तक सीनै पर्वत के निकट डेरा डालने के बाद, इस्राएली कनान-परमेश्वर द्वारा प्रतिज्ञात देश-में प्रवेश हेतु तैयार थे l परमेश्वर ने उनको देश और लोगों का मूल्यांकन करने हेतु बारह भेदिये भेजने को कहा l कनानियों की ताकत और उनके नगरों का आकार देखने के पश्चात दस ने कहा, “हम असमर्थ हैं!” दो ने कहा, “हम समर्थ हैं!”

अंतर कहाँ था?

जब दस ने दानवों की तुलना खुद से की और दानव हावी नज़र आए, दो-कालेब और यहोशू-दानवों की तुलना परमेश्वर से करके दानवों का आकार छोटा कर दिए l “यहोवा हमारे संग है,” उन्होंने कहा l “उन से न डरो” (गिनती 14:9) l

अविश्वास हमें कठिनाइयों से परे जाने नहीं देता-अभेद्य नगर और असाध्य दानव l यह खुद को उनके साथ तल्लीन करके, उन पर अवलंबित करके, उनको मात्र मानवीय संसाधनों के समक्ष लज्जा का पात्र बनाता है l

दूसरी ओर, विश्वास, यद्यपि किसी खतरे और कठिनाई को कम न करके, उनसे ध्यान हटाकर, परमेश्वर की ओर देखता है और उसकी अदृश्य उपस्थिति और सामर्थ्य पर भरोसा करता है l

आपके “दानव” क्या हैं? एक लत जो छूटता नहीं? एक परीक्षा जिससे आप बच नहीं पाते? एक कठिन विवाह? नशीले पदार्थ का सेवन करनेवाला एक बेटा या बेटी?

अपनी कठिनाइयों से अपनी तुलना करने पर, हम हमेशा अभिभूत होंगे l विश्वास कार्य की महानता से हटकर सर्व-उपस्थित,सर्व-सामर्थी परमेश्वर की महानता की ओर देखता है l