डिज़नीलैंड में एक प्रचलित आकर्षण के लिए पंक्ति में खड़े हुए, मैंने ध्यान दिया कि अधिकतर लोग लम्बे इंतज़ार के विषय शिकायत करने की बजाए बातचीत करते हुए मुस्करा रहे थे l  मुझे आश्चर्य हुआ कि लोगों का उस पंक्ति में खड़े इंतज़ार करने का अनुभव आनंदमय क्यों था l असलियत यह थी कि बहुत कम लोग ही खुद वहाँ थे l इसके  बदले, मित्रगण, परिवार, समूह और विवाहित जोड़े अपने अनुभव बाँट रहे थे, जो उस पंक्ति में खड़े होने से कहीं अलग था l

मसीही जीवन का अर्थ समूह में जीना है, एकाकी नहीं l इब्रानियों 10:19-25 हमें यीशु के अनुयायियों के संग समूह में जीवन जीने का आग्रह करता है l “तो आओ, हम सच्चे मन और पूरे विश्वास के साथ, … परमेश्वर के समीप जाएँ … आओ हम अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे, क्योंकि जिसने प्रतिज्ञा की है, वह सच्चा है; और प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिए हम एक दूसरे की चिंता किया करें, और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें” (पद.22-25) l समाज में, हम “एक दूसरे को समझाते” (पद.25) हुए, परस्पर  आश्वास्त करते और पुनः बढ़ाते हैं l

हमारे सबसे कठिन दिन भी हमारे विश्वास यात्रा में अर्थपूर्ण बन जा सकते हैं जब दूसरे उनको हमारे साथ बांटते हैं l जीवन का सामना अकेले न करें l साथ चलें l