हाल ही में, मेरा दामाद मेरी नातिन मैगी को समझाया कि परमेश्वर और हम परस्पर संवाद कर सकते हैं l इविंग के मैगी को बताने पर कि परमेश्वर हमसे कभी-कभी बाइबिल द्वारा बात करता है, वह हिचकिचायी : “अच्छा, उसने मुझसे कुछ नहीं कहा l मैंने परमेश्वर को कभी बात करते नहीं सुना l”

अनेक लोग मैगी से सहमत होंगे, यदि सुनाई देने वाली आवाज़ की हम बात करें, “अपना घर बेच दो, और दूर देश में जाकर अनाथों की देखभाल करो l” किन्तु परमेश्वर के “बोलने” का तरीका भिन्न है l

हम परमेश्वर को बाइबिल पढ़ते समय “सुनते” हैं l बाइबिल हमें यीशु के विषय बताती है कि परमेश्वर ने “हम से पुत्र के द्वारा बातें किन” जो “उसकी महिमा का प्रकाश और उसके तत्व की छाप है” (इब्रा. 1:2-3) l वचन हमें उद्धार पाने का तरीका बताता है और हम अपने जीवन से कैसे उसको प्रसन्न कर सकते हैं (2 तीमु. 3:14-17) l वचन के अलावा, हमारे पास पवित्र आत्मा है l 1 कुरिन्थियों 2:12 कहता है कि हमें पवित्र आत्मा मिला है कि हम उन बातों को जानें जो परमेश्वर ने हमें दी हैं l”

क्या परमेश्वर को सुने हुए काफी समय हो गया है? उससे बातें करें और आत्मा की सुने, जो वचन द्वारा यीशु को प्रकट करता है l उन अद्भुत बातों को सुने जो परमेश्वर ने आपके लिए रखीं हैं l