कई वर्ष पूर्व मैंने अपनी छड़ी, लाठी, और वाकिंग स्टिक पर एक लेख लिखा था और विचार करता था कि एक दिन वॉकर से चलूँगा l तो, वह दिन आ गया है l पीठ की तकलीफ और सतही तंत्रिकाविकृति(peripheral neuropathy) ने मिलकर मुझे तिपहिया वॉकर में ला दिया है l मैं पैदल चल नहीं सकता; मछली नहीं पकड़ सकता; मैं वे बातें नहीं कर सकता जो मुझे अति आनंद देते थे l

मैं सीख रहा हूँ, हालाँकि, कि जो भी मेरी सीमा है, वह परमेश्वर का उपहार है, और मुझे इसी उपहार के साथ सेवा करनी है l यह  उपहार और दूसरा नहीं l यह हम सब के साथ सच है, चाहे हमारी सीमा भावनात्मक, भौतिक, या बौद्धिक हो l पौलुस कहने में दृढ़ था कि वह अपनी निर्बलता में घमण्ड करता था कि मसीह की सामर्थ्य उस पर छाया करती रहे (2 कुरिन्थियों 12:9) l

अपने तथाकथित सीमाओं को इस तरह देखना हमें अपने व्यवसाय को दृढ़ता और साहस से देखने में योग्य बनाता है l शिकायत, खुद पर तरस, अथवा बाहर निकलने की जगह, हम परमेश्वर की अपेक्षित इच्छानुकूल खुद को उपलब्ध करते हैं l

मुझे नहीं पता उसने आपके और मेरे लिए क्या रखा है, किन्तु हमें चिंता नहीं करना चाहिए l आज हमारा कार्य, अवस्था को स्वीकार करके संतुष्ट रहकर समझना है कि इस क्षण परमेश्वर का प्रेम, बुद्धिमत्ता, और प्रावधान सर्वोत्तम है l