एक स्थानीय कलीसिया के स्वयंसेवकों ने एक ठण्डी शाम को निम्न-आय वाले लोगों के भवन-समूहों में भोजन वितरण किया l एक स्त्री भोजन पाकर उल्लासित हुई l उसने अपनी खाली आलमारी दिखाकर उनसे कहा कि वे उसकी प्रार्थनाओं के उत्तर थे l

स्वयंसेवकों के चर्च लौटने पर एक महिला रोने लगी l “जब मैं छोटी थी,” उसने कहा, “वह महिला मेरी सन्डे स्कूल शिक्षिका थी l वह प्रत्येक रविवार चर्च आती है l हमें मालूम न था कि वह लगभग भूखी मर रही है!”

स्पष्तः: वे लोग चिंता करनेवाले लोग थे जो परस्पर बोझ उठाना चाहते थे, जैसे पौलुस गलातियों 6:2 में सलाह देता है l फिर भी उन्होंने स्त्रियों की ज़रूरतों पर ध्यान नहीं दिया था-जिसको वे प्रति रविवार देखते हैं-और उसने अपनी ज़रूरतें नहीं बताई थी l यह हमारे लिए अपने चारों-ओर के प्रति और अभिज्ञ रहने की कोमल ताकीद हो सकती है और, जैसे पौलुस कहता है, “जहां तक, अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें, विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ” (6:10) l

एक साथ उपासना करनेवालों को परस्पर सहायता करने का अवसर है ताकि मसीह की देह में कोई सहायता विहीन न रहे l जब हम एक दूसरे को जानते और चिंता करते हैं, शायद हमें कभी नहीं कहना पड़ेगा, “हमें मालूम न था l”