रविवार की सुबह है, मैं चर्च की फुलवारी में जहाँ मेरे पति पासवान हैं बैठी हूँ l मुझे  फ़ारसी भाषा में प्रशंसा और आराधना संगीत सुनाई दे रहा है l लन्दन के मेरे चर्च में एक जोशपूर्ण ईरानी मंडली इकट्ठी होती है, और हम मसीह के लिए उनके उत्साह से दीन महसूस करते हैं जब वे सताव की कहानियाँ बताते हैं, जैसे अपने वरिष्ठ पासवान के भाई की विश्वास की खातिर शहादत l ये विश्वासी प्रथम शहीद, स्तिफनुस के क़दमों पर चल रहे हैं l

आरंभिक कलीसिया में नियुक्त अगुओं में से एक, स्तिफनुस, ने “बड़े-बड़े अद्भुत काम और चिन्ह” दिखाकर यरूशलेम में ध्यान अर्जित की (प्रेरितों 6:8) और वह यहूदी अधिकारियों के समक्ष लाया गया कि अपने कार्यों का बचाव कर सके l आरोपियों की निर्दयता दर्शाने से पूर्व उसने विश्वास का जोशपूर्ण बचाव किया l किन्तु पश्चाताप करने की बजाए, वे “उसपर दांत पीसने लेगे” (7:54) l उनहोंने उसे नगर से बाहर ले जाकर उसको पत्थरवाह किया-यद्यपि वह उनकी क्षमा हेतु प्रार्थना कर रहा था l  

स्तिफनुस और वर्तमान शहीदों की कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि लोग मसीह के सन्देश के प्रति क्रूर हैं l अपने विश्वास की खातिर सताए नहीं जाने पर भी हम विश्व की सतायी जानेवाली कलीसियाओं के लिए प्रार्थना करें l और हम कभी भी सताए जाने पर , उससे अनुग्रह पाकर जिसने हमारे लिए अत्यधिक सहा विश्वासयोग्य रहें l