अंतरिक्ष यान के अंतरिक्ष यात्री, चार्ल्स फ्रैंक बोल्डन जूनियर कहते हैं, “पहली ही बार अंतरिक्ष में जाने पर पृथ्वी के विषय मेरा दृष्टिकोण नाटकीय ढँग से बदल गया l पृथ्वी से 400 मील ऊपर से, उसको सब कुछ शांतिमय और खुबसूरत दिखाई दिया l फिर भी बोल्डन ने याद किया कि मध्य पूर्व के ऊपर से गुज़रते समय, वह वहाँ पर जारी द्वन्द पर विचारते हुए “वास्तविकता में पहुँच” गया l फिल्म निर्माता जैरेड लेटो से एक साक्षात्कार में, बोल्डन ने उस क्षण पृथ्वी को उस अवस्था में देखा जैसा उसे होना चाहिए-और तब उसे बेहतर बनाने की चुनौती महसूस की l

बैतलहम में यीशु के जन्म के समय, संसार परमेश्वर की इच्छानुसार नहीं था l इस नैतिक और आत्मिक अंधकार में यीशु सबके लिए जीवन और ज्योति लेकर आया (यूहन्ना 1:4) l यद्यपि संसार ने उसे नहीं पहचाना, “जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की संतान होने का अधिकार दिया” (पद.12) l

जीवन के अपने मूल अवस्था में नहीं होने के कारण हम दुखित होते हैं-जब परिवार टूटते हैं, बच्चे भूखे होते हैं, और संसार युद्ध में संलग्न है l किन्तु परमेश्वर की प्रतिज्ञा है कि कोई भी मसीह में विश्वास करके एक नयी दिशा में बढ़ सकता है l

क्रिसमस का मौसम हमें स्मरण कराता है कि उद्धारकर्ता, यीशु, उसको ग्रहण करने और उसका अनुसरण करनेवाले को जीवन और ज्योति देता है l