जब केरेन के चर्च की एक महिला के विषय पता चला कि उसे ALS(amyotrophic lateral sclerosis या Lou Gehrig) नामक जानलेवा बीमारी हो गई है, स्थिति अच्छी नहीं थी l यह क्रूर बीमारी तंत्रिकाओं और मांशपेशियों को प्रभावित करके रोगी को लकवाग्रस्त कर देता है l पारिवारिक बीमा से घर में इलाज संभव नहीं था और उसका पति नर्सिंग होम में इलाज करने की कल्पना भी नहीं कर सकता था l

नर्स होने के कारण केरेन उस महिला की सेवा करने उसके घर जाने लगी l किन्तु जल्द ही वह समझ गई कि अपने मित्र की सेवा करते हुए वह अपने परिवार की देखभाल नहीं कर पा रही थी, इसलिए उसने चर्च में दूसरों को सेवा भाव सीखना आरंभ कर दी l अगले सात वर्षों में  बीमारी के बढ़ने पर केरेन ने अपने अलावा इकतीस स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जिन्होंने उस परिवार को प्रेम, प्रार्थना, और व्यावहारिक सहायता दी l

“जो कोई परमेश्वर से प्रेम रखता है [उसे] अपने भाई [और बहन] से भी प्रेम [रखना होगा],” प्रेरित यूहन्ना ने कहा (1 यूहन्ना 4:21) l केरेन उस प्रकार के प्रेम का एक दीप्त उदाहरण देती है l वह कुशल, प्रेमी, और एक चर्च परिवार को एक दुखित मित्र की सेवा हेतु प्रेरित करने वाली थी l एक ज़रूरतमन्द व्यक्ति के लिए उसका प्रेम गुणित व्यावहारिक प्रेम बन गया l