मेरे पिता अपने युवावस्था में मित्रों के एक समूह के साथ शहर के बाहर एक स्पोर्ट्स कार्यक्रम में जा रहे थे जब उनकी कार के पहिये गीली सड़क पर फिसल गए l उनके साथ गंभीर दुर्घटना हुई l एक मित्र को पक्षघात हो गया और दूसरे की मृत्यु l मेरे पिता को मृत घोषित करके लाश-घर में रख दिया गया l उनके स्तंभित और शोक-संतप्त माता-पिता उन्हें पहचानने पहुँचे l किन्तु मेरे पिता उस गहरे कोमा से वापस पुनर्जीवित हो गए l उनका विलाप आनंद में बदल गया l

इफिसियों 2 में, प्रेरित पौलुस हमें याद दिलाता है कि मसीह से अलग हम “अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे” (पद.1) l किन्तु हमारे लिए उसके महान प्रेम के कारण, “परमेश्वर ने जो दया का धनी है, … जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे तो हमें मसीह के साथ जिलाया” (पद.4-5) l मसीह के द्वारा हमें मृत्यु से जीवन में लाया गया है l

तो एक भाव में, हम सभों के जीवन का श्रोत स्वर्गिक परमेश्वर है l उसके महान प्रेम के द्वारा, उसने उनको जो पापों में मृत थे उसके पुत्र के द्वारा जीवन और उद्देश्य को संभव किया l