मेरी माँ और उनकी बहने शीघ्र लुप्त हो रही कला रूप – पत्र लेखन करती हैं l  दोनों ही लगातार एक दूसरे को व्यक्तिगत पत्र लिखतीं हैं इस कारण पत्र नहीं होने पर डाकिया चिंतित होता है! उनके पत्र में जीवन, आनंद और दुःख के साथ-साथ मित्रों और परिवार में होनेवाली दैनिक घटनाएँ होती हैं l

मुझे अपने परिवार की इन महिलाओं के साप्ताहिक अभ्यास पर विचार करना पसंद है l इससे मैं प्रेरित पौलुस के शब्दों को कि यीशु के विश्वासी “मसीह की पत्री” हैं जो “स्याही से नहीं परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से … लिखी है” की प्रशंसा कर पाता हूँ (2 कुरिं. 3:3) l उसके सन्देश को नहीं माननेवाले झूठे शिक्षकों के प्रतिउत्तर में (देखें 2 कुरिं. 11), पौलुस ने कुरिन्थुस की कलीसिया को उसके उपदेश के अनुसार सच्चे और जीवते परमेश्वर का अनुसरण करने हेतु उत्साहित किया l ऐसा करके, उसने यादगार ढंग से विश्वासियों को मसीह का पत्र कहा, जो किसी और लिखित पत्र की तुलना में पौलुस की सेवा द्वारा अपने बदले हुए जीवनों से पवित्र आत्मा के अधिक सामर्थी गवाह थे l

कितना अद्भुत है कि परमेश्वर का आत्मा हममें अनुग्रह और छुटकारे की कहानी लिखता है! हमारे जीवन लिखित अर्थपूर्ण शब्दों से अधिक सुसमाचार की सच्चाई का सबसे उत्तम साक्षी है, क्योंकि वे हमारी दयालुता, सेवा, धन्यवाद, और आनंद द्वारा अत्यधिक बोलते हैं l हमारे शब्द और कार्य द्वारा, प्रभु जीवनदायक प्रेम फैलता है l आज आप क्या सन्देश फैला रहे हैं?