ग्रैजूएशन के बाद,  कम वेतन की नौकरी के कारण कभी-कभी अगले भोजन के लिए भी पैसे पर्याप्त नहीं होते थे। अपनी आवश्यकताओं के लिए मैंने परमेश्वर पर विश्वास करना सीख लिया।

एलिय्याह के अनुभव के समान जिन्होंने अपनी आवश्यकताओं के लिए परमेश्वर पर भरोसा करना सीख लिया था। इस्राएल में आने वाले सूखे की घोषणा करने के बाद परमेश्वर ने उन्हें करीत नामक नाले के निर्जन स्थान पर भेजा जहां उन्होंने उनके प्रतिदिन के भोजन के लिए कौवों का प्रयोग किया और नाले के पानी से उन्हें तरोताज़ा किया (1 राजा 17:1–4)।

सूखा शुरू हुआ और नाला पहले एक धारा में और फिर कुछ बूंदों में सिकुड़ गया। नाला सूख जाने पर परमेश्वर ने कहा: “चलकर सीदोन के सारपत नगर में जा …” (9)। सारपत फीनीके में था, जिसके निवासी इस्राएलियों के शत्रु थे। क्या कोई एलिय्याह को आश्रय को देगा? और क्या बाँटने के लिए एक गरीब विधवा के पास भोजन होगा?

अधिकतर लोग चाहेंगे कि प्रतिदिन के बजाय परमेश्वर सब कुछ एकसाथ ही हमें दे दें। परंतु पिता कहते हैं, मुझ पर विश्वास रख। जैसे एलिय्याह के लिए उन्होंने कौवों और विधवा का उपयोग किया, वैसे ही उनके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं है। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम उनपर विश्वास कर सकते हैं।