खेल प्रशंसक अपनी प्रिय टीम की प्रशंसा में बहुत कुछ करते हैं। टीम का प्रतीक चिन्ह पहनना, फेसबुक में पोस्ट डालना, मित्रों से चर्चा करना, उनकी निष्ठा पर कोई संदेह नहीं छोड़ता। मेरी प्रिय tiटीम की अपनी टोपी, टीशर्ट और बातें दिखाती है कि मैं भी इनमें शामिल हूं। खेलों में हमारी निष्ठा याद दिलाती है कि हमारी सच्ची और महान निष्ठा परमेश्वर के प्रति होनी चाहिए। भजन संहिता 34 में परमेश्वर के प्रति संकोचहीन निष्ठा के बारे में सोचिए, जो पृथ्वी पर किसी चीज़ से अधिक महत्वपूर्ण है।

दाऊद कहता है, “मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा” (पद 1), और हम अपने जीवन की कमियों को लेकर बैठ जाते हैं तो हम जीवन ऐसे जीते हैं मानो हमारे सत्य, प्रकाश और उद्धार का स्रोत परमेश्वर हैं ही नहीं। वह कहता है, “उसकी प्रशंसा सदा मेरे मुख पर होगी” (पद 1) और हम संसार की चीजों की प्रशंसा उनसे अधिक करते हैं। दाऊद कहता है, “मैं यहोवा पर घमण्ड करूंगा” (पद 2), हम जानते हैं कि जितना यीशु ने हमारे लिए किया, उससे अधिक हम अपनी सफलताओं का घमण्ड करते हैं।

अपनी प्रिय टीमों, रुचियों, और उपलब्धियों का आनन्द लेना गलत नहीं है। लेकिन हमारी सर्वोच्च प्रशंसा परमेश्वर को जाती है, “मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो…(पद 3)”।