गीत गाना कितना विशेष है, हमारे परिवार में बच्चों के जन्म से पूर्व किसी ने हमें यह नहीं बताया l अब मेरे बच्चे छः, आठ, और दस वर्ष के हैं l किन्तु उन सभी को छोटी उम्र में नींद की समस्या थी l प्रति रात्रि, बारी-बारी से हम दोनों पति-पत्नी अपने छोटे बच्चों को अपनी बाहों में डोलाते थे और प्रार्थना करते थे कि वे सो जाएँ l मैंने इस आशा से कि वे जल्दी सो जाएँ उनको सैंकड़ों घंटे अपनी बाहों में डोलाया है और लोरियाँ सुनायी है l किन्तु हर रात्रि में बच्चों को लोरियाँ सुनाते समय कुछ आश्चर्यजनक हुआ : मेरी कल्पना से अधिक मेरा प्रेम और आनंद उनके प्रति गहरा होता गया l

क्या आप जानते हैं कि वचन स्वर्गिक पिता का अपने बच्चों के लिए गीत गाने का वर्णन करता है? जिस प्रकार मैं गीत गाकर अपने बच्चों को शांत कर रहा था, उसी प्रकार सपन्याह स्वर्गिक पिता को अपने लोगों के लिए गाने वाले के रूप को दर्शा कर अपने पुस्तक का अंत  करता है : “वह तेरे कारण आनंद से मगन होगा, वह अपने प्रेम के मारे . . . ऊँचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मगन होगा” (3:17) l

सपन्याह की भविष्यसूचक पुस्तक का अधिक भाग परमेश्वर का तिरस्कार करनेवाले लोगों को आसन्न न्याय की चेतावनी देता है l किन्तु पुस्तक वहां पर समाप्त नहीं होता l सपन्याह आसन्न न्याय के साथ समाप्त नहीं करता है किन्तु अपने लोगों को उनके दुःख से बचाने के साथ-साथ (पद.19-20) गीत गाकर कोमल प्रेम और आनंद प्रगट करते हुए समाप्त करता है (पद.17) l

हमारा परमेश्वर केवल “उद्धार करने में पराक्रमी” (पद.17) नहीं है किन्तु एक प्रेमी पिता है जो हमारे लिए कोमलता से प्रेम गीत भी गाता है l