जब मैं एक कैंसर केंद्र में रहकर अपनी माँ की देखभाल करती थी, मेरा परिचय एक और देखभाल करनेवाली महिला, लॉरी से हुआ जो हमारे घर के आगेवाले गलियारे में अपने पति के साथ रहती थी l मैं सामान्य स्थान पर लॉरी के साथ बातचीत करती थी, हँसती थी, अपने दिल की बात बताती थी और प्रार्थना करती थी l अपने प्रियों की सेवा करते वक्त हम एक दूसरे का सहयोग करने का आनंद उठाते थे l

एक दिन, किराना का सामान खरीदने के लिए निवासियों को ले जानेवाला वाहन मुझसे छूट गया l देर शाम लॉरी ने मुझे वहाँ ले जाने की पेशकश की l कृतज्ञ हृदय से, मैंने उसकी पेशकश स्वीकार कर ली l मैंने कहा, “ तुम्हारे व्यक्तित्व के लिए धन्यवाद l” जैसी वह थी मैंने केवल एक मित्र के रूप में मेरी मदद करने के लिए ही नहीं, किन्तु सच्चाई से उसके व्यक्तित्व की सराहना की l

भजन 100 परमेश्वर के वास्तविक व्यक्तित्व की सराहना है, केवल उसके काम की नहीं l भजनकार “सारी पृथ्वी के लोगों [को](पद.1) निश्चित रूप से जानने के लिए “कि यहोवा ही परमेश्वर है” (पद.3) . . . आनंद से यहोवा की आराधना [करने के लिए]” (पद.2) नेवता देता है l हमारा सृष्टिकर्ता हमें “[उसको] धन्यवाद [देने] और [उसकी] स्तुति [करने के लिए]” (पद.4) अपनी उपस्थिति में बुलाता है l वास्तव में, हमारा प्रभु निरंतर हमारे कृतज्ञता का हकदार है क्योंकि वह “भला है,” उसकी करुणा सदा की है,” और उसकी “सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है” (पद.5) l

परमेश्वर हमेशा इस जगत का सृष्टिकर्ता और पालक और हमारा घनिष्ठ प्रेमी पिता रहेगा l वह हमारे असली ख़ुशी से पूर्ण कृतज्ञता के योग्य है l