मैं हमेशा से सेलो बजाना सीखना चाहता थाl लेकिन मुझे कभी भी किसी कक्षा में दाखिला लेने का समय नहीं मिलाl या, शायद यह कहना ज़्यादा सही होगा कि मैंने इसके लिए समय निकाला ही नहींl मैंने सोचा कि शायद मैं स्वर्ग में इस वाद्य यंत्र को बजाने में माहिर हो सकूँगाl इसी दौरान मेरी इच्छा यह रही कि मैं अपना ध्यान उन विशेष तरीकों पर लगाऊं जिनके द्वारा परमेश्वर ने अब मुझे उसकी सेवा करने के लिए बुलाया हैl

जीवन छोटा है और अक्सर हम पर यह दबाव रहता है कि धरती पर जो समय हमें मिला है इससे पहले कि यह हमारे हाथ से फिसले, हम इसका ज़्यादा से ज़्यादा लाभ उठाएँl लेकिन वास्तव में इसका अर्थ क्या है? 

राजा सुलेमान ने जीवन के अर्थ पर चिंतन करते हुए दो सुझाव दिएl पहला, हमें यथासम्भव सबसे अर्थपूर्ण ढंग से अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए, जिसमें उन अच्छी चीजों का पूरा आनन्द उठाना भी शामिल है जिनका परमेश्वर हमें हमारे जीवन में अनुभव करने देता है, जैसा कि खाने-पीने की चीज़ें (सभोपदेशक 9:7), वस्त्र और इत्र (पद 8), विवाह (9 पद) और परमेश्वर के सब अच्छे उपहार, जिसमें सेलो बजाना सीखना भी हो सकता हैl

उसका दूसरा सुझाव था पूरी शक्ति के साथ परिश्रम करना (पद 10)l जीवन अवसरों से भरपूर है और करने के लिए काम हमेशा होता हैl हमें उन अवसरों का लाभ उठाना है जो परमेश्वर हमें देता है और उसकी बुद्धि को खोजना है कि अपने काम और मज़े की प्राथमिकताएँ इस प्रकार से निर्धारित करें कि उसके द्वारा जो गुण हमें दिए गये हैं वे उसकी सेवा में इस्तेमाल होंl

जीवन प्रभु की ओर से एक अद्भुत उपहार हैl जब हम उसके द्वारा दी जाने वाली प्रतिदिन की आशीषों और उसकी अर्थपूर्ण सेवा, दोनों में प्रसन्न रहते हैं तो हम उसका आदर करते हैंl