कानून को मानने वाले एक ईमानदार व्यक्ति को एक वायस मेल प्राप्त हुई, जो इस प्रकार थी, “मैं पुलिस विभाग से________अधिकारी बोल रहा हूँl कृपया मुझे इस नम्बर पर फोन करेंl” उसी समय उस व्यक्ति ने चिन्ता करनी आरम्भ कर दी—वह डरा हुआ था कि कहीं न कहीं उसने कुछ गलत कर दिया हैl वह वहाँ फोन करने से डर रहा था, यहाँ तक कि वह अनेक प्रकार की सम्भव परिस्थितियों पर विचार करते हुए अनेक रातों तक जागता रहा—वह चिन्ता कर रहा था कि वह किसी न किसी प्रकार की समस्या में थाl उस अधिकारी ने कभी दुबारा फोन नहीं किया, परन्तु उस चिन्ता को जाने में हफ्तों का समय लगाl

चिन्ता के विषय में यीशु ने एक रोचक प्रश्न किया: “तुम में कौन है जो चिन्ता करके अपनी आयु में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है? (मत्ती 6:27)l सम्भवतः यह हमारी चिन्ता करने की प्रवृति पर पुन: विचार करने में हमारी सहायता कर सकता है, क्योंकि यह सलाह देता है कि उस परिस्थिति के बारे में चिन्ता करने से कोई लाभ नहीं है, जिसके बारे में हम चिन्ता कर रहे हैंl

हमारे जीवन में जब समस्याएँ चरम पर होती हैं, तो उस समय हम इस दो कदम वाले निम्नलिखित प्रस्ताव को अपना कर देख सकते हैं: कार्य करो और परमेश्वर पर भरोसा रखोl यदि हम समस्या से बचने के लिए कुछ कर सकते हैं, तो हम उसका प्रयास कर सकते हैंl हम परमेश्वर से उस कार्य को करने के लिए, जो हमें करना चाहिए, सहायता प्रदान करने के लिए मार्गदर्शन माँग सकते हैंl परन्तु यदि हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं, तो हम यह जानकर शान्ति के साथ रह सकते हैं कि परमेश्वर स्वयं को ऐसी अवस्था में कदापि नहीं रखताl वह सर्वदा ही हमारे पक्ष में कार्य कर सकता हैl हम भरोसे और आत्मविश्वास के साथ अपनी परिस्थिति को उस पर डाल सकते हैंl

जब चिन्ता करने जैसा महसूस हो, तो हम राजा दाऊद के प्रेरित शब्दों की ओर जाएँ, जिसने अपनी कठिनाइयों और चिन्ताओं का सामना किया, परन्तु यह निष्कर्ष निकाला: “अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा” (भजन संहिता 55:22) l चिन्ता के लिए कितना उत्तम विकल्प!