1960 में कुछ असामान्य तस्वीरें, जिसमें उदास बड़ी आँखों वाला व्यक्ति या एक जानवर होता था, बहुत प्रसिद्ध हो गई थीं। कुछ लोगों ने इस कार्य को “भावुक” – (या घटिया) समझा, – परन्तु कुछ को इसमें प्रसन्नता प्राप्त हुई। जब उस कलाकार के पति ने अपनी पत्नी की रचनाओं को प्रोन्नत करना आरम्भ किया, तो यह दम्पति काफ़ी समृद्ध हो गया। परन्तु उस कलाकार के हस्ताक्षर-मार्गरेट केन-उसके कार्य पर कभी दिखाई नहीं दिए। इसके स्थान पर मार्गरेट के पति ने अपनी पत्नी के कार्य को अपना कार्य करके प्रस्तुत किया। भय के कारण मार्गरेट बीस वर्षों तक इस धोखेबाज़ी के बारे में चुप रही, जब तक उनका तलाक नहीं हो गया। उन दोनों में एक कोर्ट में हुए पेंटिंग की प्रतिस्पर्धा ने वास्तविक कलाकार की पहचान को प्रमाणित किया।

उस व्यक्ति की धोखेबाज़ी स्पष्ट रूप से गलत थी, परन्तु यीशु के अनुगामियों के रूप में हमारे लिए अपने गुणों या दूसरों के लिए की गई भलाई का श्रेय ले लेना बहुत आसान होता है। परन्तु वे विशेषताएँ मात्र परमेश्वर के अनुग्रह के कारण ही होती हैं। यिर्मयाह 9 में हम पाते हैं कि वह नबी दीनता की कमी और लोगों के अपश्चातापी हृदयों के कारण विलाप कर रहा है। उसने लिखा कि हमें अपनी बुद्धि, अपनी ताकत या अपनी धन-सम्पत्ति पर घमण्ड नहीं करना चाहिए, अपितु यह कि हम यह समझ और जान सकें कि वह ही प्रभु है “जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है” (पद 24) ।

हमारे हृदय आभार से भर जाते हैं जब हम वास्तविक कलाकार की पहचान को समझ लेते हैं। “हर एक अच्छा वरदान और हर एक उतम दान…पिता की ओर से मिलता है” (याकूब 1:17) । समस्त श्रेय और सम्पूर्ण स्तुति अच्छे वरदान देने वाले की ही है।