मेरे पहले चश्मे ने मेरी आँखों को एक साफ़ संसार (देखने) के लिए खोल दिया था। मुझे निकट की वस्तुएँ साफ़ और स्पष्ट दिखाई देती हैं। परन्तु चश्मे के बिना कमरे से बाहर या कुछ दूरी पर चीज़ें धुंधली दिखाई देती हैं। बारह साल की आयु में, मेरे पहले चश्मे से ब्लैकबोर्ड पर शब्दों को, पेड़ पर छोटे-छोटे पत्तों को और (शायद) सबसे अच्छा, लोगों के चेहरों पर बड़ी मुस्कुराहट को देखकर आश्चर्यचकित हो गई थी।   

जब मैंने मित्रों का अभिनन्दन किया तो वे मेरी ओर पलट कर मुस्कुराए, तब मैंने सीख लिए कि दिखाई देना भी देखने की आशीष जितना ही बड़ा उपहार है।

दासी हाजिरा ने (उस बात को) जान लिया था जब वह अपनी मालकिन सारै की दयाहीनता से भागी। हाजिरा अपनी संस्कृति में नाचीज़ थी, वह गर्भवती और अकेली थी और बिना सहायता और आशा के मरुभूमि में भाग रही थी। परमेश्वर को देख लेने के बदले में परमेश्वर के द्वारा देख लिए जाने पर वह सशक्त की गई थी। एक अनजान सिद्धांत के स्थान पर परमेश्वर उसके लिए वास्तविक बन गया, इतना वास्तविक कि उसने परमेश्वर को एक नाम एल रोई दे दिया जिसका अर्थ है “तू एक ऐसा परमेश्वर है, जो मुझे देखता है।” उसने कहा, “अब मैंने उसे देख लिया है जो मुझे देखता है” (उत्पत्ति 16:13) ।  

हमारा देखने वाला परमेश्वर हम में से प्रत्येक को देखता है। आप (खुद) को अनदेखा, अकेला या नाचीज़ अनुभव करते हैं? परमेश्वर आपको और आपके भविष्य को देखता है। उसके बदले में परमेश्वर करे कि हम उसे हमारी अनन्त आशा, प्रोत्साहन, उद्धार और आनन्द-हमारे आज और हमारे कल के लिए-के रूप में देखें। देखने के इस अद्भुत उपहार (के लिए, जिससे हम) उस सच्चे और जीवित परमेश्वर को देख सकते हैं, आज हम उसकी स्तुति करें।