जब एरोन(उसका वास्तविक नाम नहीं) 15 वर्ष का था, वह शैतान से प्रार्थना करने लगा : “मुझे ऐसी अनुभूति हुयी वो और मैं साझेदार हैं l” एरोन ने झूठ, छोरी, और अपने परिवार और मित्रों के साथ हेर-फेर करना आरंभ कर दिया l उसने (शैतान) दू:स्वप्नों का भी अनुभव किया : “एक सुबह जागने पर पलंग की दूसरी ओर मैंने शैतान को देखा l उसने मुझसे कहा कि मैं अपनी परीक्षा पास करूँगा और उसके बाद मर जाऊँगा l” तथापि अपनी परीक्षा समाप्त करने के बाद, वह जीवित है l एरोन ने ध्यान किया, “मेरी लिए स्पष्ट हो गया कि वह झूठा है l”

लड़कियों से मुलाकात की आशा से, एरोन एक मसीही उत्सव में गया, जहां एक व्यक्ति ने उसके लिए प्रार्थना करने का प्रस्ताव रखा l “जब वह प्रार्थना कर रहा था, मैंने अपने शरीर में शांति का सैलाब महसूस किया l” उसने जो शैतान से अनुभव किया था उसकी तुलना में उसने कुछ “अधिक सामर्थी, और अधिक मुक्त करनेवाला अनुभव किया l” प्रार्थना करनेवाले ने एरोन से कहा परमेश्वर के पास एक उद्देश्य था और शैतान झूठा था l इस व्यक्ति ने यीशु द्वारा शैतान से कही हुयी बात को दोहराया जब उसने कुछ लोगों को प्रतिउत्तर दिया जिन्होनें उसका विरोध किया था : “क्योंकि वह झूठा है वरन् झूठ का पिता है” (यूहन्ना 8:44) l

एरोन शैतानवाद से फिरकर मसीह की ओर लौट आया और अब “परमेश्वर से सम्बन्ध रखता  है” (पद.47) l वह एक शहरी समुदाय में सेवा करते हुए, उस अंतर को साझा करता है जो यीशु का अनुसरण करने से आता है l वह परमेश्वर के बचानेवाली सामर्थ्य का जीवित साक्षी है : “मैं भरोसे के साथ कह सकता हूँ कि परमेश्वर ने मेरे जीवन को बचाया है l”

परमेश्वर सभी बातों का श्रोत है जो अच्छी, पवित्र, और सच्ची हैं l हम सच्चाई को पाने के लिए उसकी ओर मुड़ सकते हैं l