अपने प्रेमी से डेटिंग करते समय डेनिसी ने पतली आकृति और वस्त्र को सुरुचिपूर्ण बनाकर रखने का प्रयास किया, यह भरोसा करते हुए कि वह उसके लिए उस तरह से अधिक आकर्षक लगेगी l आखिरकार, स्त्रियों की सभी पत्रिकाएँ इन्हीं की सलाह देती हैं l यह केवल बहुत बाद में पता चला कि उसके मन में क्या था : “जब तुम अधिक वजनदार थी तब भी मैंने तुम्हें उतना ही पसंद किया और तुम्हारे वस्त्र के विषय चिंता नहीं की l”

डेनिसी को एहसास हुआ कि “खूबसूरती” कितना आत्मगत(subjective) थी l दूसरों के द्वारा खूबसूरती के विषय हमारा दृष्टिकोण कितनी सरलता से प्रभावित होता है l यह आंतरिक ख़ूबसूरती के मूल्य को भूल कर अक्सर बाह्य स्वरुप पर केन्द्रित होता है l परन्तु परमेश्वर हमें केवल एक ही तरीके से देखता है – अपने सुन्दर, प्रिय बच्चों की तरह l मैं सोचना चाहता हूँ कि जब परमेश्वर ने इस सृष्टि की रचना की, वह सर्वोत्तम को अंत के लिए छोड़ दिया अर्थात् हमें! उसने सबकुछ सुन्दर बनाया, परन्तु हम अधिक विशेष हैं क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरुप में बनाए गए हैं (उत्पत्ति 1:27) l

परमेश्वर हमें खूबसूरत मानता है! कोई आश्चर्य की बात नही कि भजनकार विस्मय से भर गया जब उसने प्रकृति की महानता की तुलना मनुष्य से की l “उसने पुछा, “तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे, और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले?” (भजन 8:4) l फिर भी परमेश्वर ने नश्वर को महिमा और आदर दी जो और किसी के पास नहीं था (पद.5)

यह सच्चाई हमें उसकी प्रशंसा करने का आश्वासन और कारण देता है (पद.9) l चाहे दूसरे हमारे विषय कुछ भी सोचें – या हम अपने विषय क्या सोचते हैं – यह जान लें : हम परमेश्वर के लिए खूबसूरत है l