ज्यादातर गर्मियों की सुबह में, हमारे घर के पीछे पार्क में एक दिलचस्प नाटक दिखाई देता है l इसमें एक फव्वारा शामिल है l और एक बुलडॉग l लगभग 6.30 बजे, फव्वारे चालू हो जाते हैं l उसके थोड़े समय बाद, बुलडॉग फिफि(हमारे परिवार द्वारा दिया गया नाम) वहां आ जाती है l

फिफि का मालिक उसका पट्टा खोल देता है l बुलडॉग अपनी पूरी ताकत से निकटतम फव्वारे की ओर दौड़ती है, पानी के धार पर आक्रमण करती है जब वह उसके चेहरे को भिगोता है l यदि फिफि उस फव्वारे को खा पाती, मेरी समझ से वह उसे खा लेती l यह उल्लास का निरा चित्र है उस द्रव्य द्वारा पूरी तौर से भीगने की फिफि की कदाचित अनंत इच्छा जिसे वह इच्छा भर नहीं प्राप्त कर सकती है l

बाइबल में बुलडॉग, या फव्वारे नहीं हैं l फिर भी, एक तरीके से, इफिसियों 3 में पौलुस की प्रार्थना मुझे फिफि की याद दिलाती है l वहां पर, पौलुस प्रार्थना करता है कि इफिसुस के विश्वासी परमेश्वर के प्रेम से भर जाएं और “सब पवित्र लोगों के साथ भली-बहती समझने की शक्ति [पाएं] कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊँचाई, और गहराई कितनी हैं, और मसीह के उस प्रेम को जान [सकें] जो ज्ञान से परे है l” उसकी प्रार्थना थी कि हम “परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण [हो जाएं]” (पद.18-19) l

आज भी, हम एक ऐसे परमेश्वर को अनुभव करने के लिए आमंत्रित किये जाते हैं जिसका अनंत प्रेम हमारी सम्पूर्ण समझ से परे है, ताकि हम भी पूरी रीति से भीग जाएं, संतृप्त हो जाएं, और उसकी भलाई से बिलकुल संतुष्ट हो जाएं l हम बेफिक्री, उत्साह, और ख़ुशी से उसके साथ सम्बन्ध में गोता लगाने के लिए स्वतंत्र है केवल वही हमारे हृदयों और जीवनों को अपने प्रेम, अर्थ, और उद्देश्य से भर सकता है l