निर्णायक क्षण से बहुत पहले जब बिली ग्रैहम सोलह वर्ष की उम्र में मसीह में विश्वास में आए, यीशु के प्रति उनके माता-पिता की भक्ति प्रगट थी l वे दोनों विश्वासियों के एक परिवार में विशवास किये थे और उनका पालन पोषण भी वहीं हुआ था l बिली के माता-पिता ने अपने विवाह के बाद, प्रेमपूर्वक अपने बच्चों का पालन-पोषण करने के द्वारा उस विरासत को जारी रखा, जिसमें प्रार्थना और बाइबल पठन और बच्चों के साथ विश्वासयोग्यता से चर्च जाना शामिल था l ग्रैहम के माता-पिता द्वारा बिली के लिए दृढ़ बुनियाद रखना ही वह मिटटी थी जिसे परमेश्वर ने उसे विश्वास में लाने के लिए उपयोग किया और, अंततः, एक दृढ़ सुसमाचार प्रचारक की उसकी बुलाहट भी l

प्रेरित पौलुस का युवा शागिर्द तीमुथियुस भी एक मजबूत आत्मिक बुनियाद से फायदा उठाया था l पौलुस ने लिखा, “मुझे तेरे उस निष्कपट विश्वास की सुधि आती है, जो पहले तेरी नानी लोइस और तेरी माता युनिके में था” (2 तीमुथियुस 1:5) l इस विरासत ने तीमुथियुस को तैयार किया और उसके हृदय को मसीह में विश्वास करने की ओर ले चला l

अब पौलुस तीमुथियुस को अपने विशवास की परम्परा को आगे ले चलने का आग्रह करता है (पद.5), “परमेश्वर के . . . वरदान को . . . [पवित्र आत्मा द्वारा जो] “सामर्थ्य” [देता है,  अपने अन्दर] प्रज्वलित कर दे” (पद.6-7) l आत्मा की सामर्थ्य के कारण, तीमुथियुस निर्भय होकर सुसमाचार के लिए जी सकता था (पद.8) l एक मजबूत आत्मिक विरासत गारन्टी नहीं देता है कि हम विश्वास में आ जाएंगे, परन्तु दूसरों का नमूना और सलाह मार्ग प्रशस्त करने में सहायता कर सकता है l और हमारे यीशु को उद्धारकर्ता ग्रहण करने के बाद, आत्मा सेवा में, उसके साथ जीवन जीने में, और दूसरों के विश्वास को पोषित करने में भी हमारी अगुवाई करेगा l