यीशु में दृढ़ विश्वासी माता-पिता से प्रभावित प्रसिद्ध धावक जेसी ओवन्स साहसी विश्वासी का जीवन जीया l बर्लिन में, 1936 के ओलिंपिक खेल के दौरान, अमरीकी दल में इने-गिने अफ़्रीकी अमरीकियों में से एक, ओवन्स ने, द्वेष से पूर्ण नाज़ियों और उनके लीडर, हिट्लर की उपस्थिति में चार स्वर्ण पदक प्राप्त किया l उसने जर्मनी के एक साथी खिलाड़ी, लूज़ लॉन्ग, से भी मित्रता की l नाज़ी मत प्रचार के बीच, ओवन्स के प्रगट विश्वास के सरल कार्य ने लूज़ के जीवन को प्रभावित किया l बाद में, लॉन्ग ने ओवन्स को लिखा : “उस वक्त बर्लिन में जब मैं पहली बार तुम से बात की, जब तुम घुटने पर थे, मैं समझ गया था तुम प्रार्थना कर रहे हो . . . मेरे विचार से मैं परमेश्वर में विश्वास कर सकता हूँ l”

ओवन्स ने दिखाया कि विश्वासी कैसे प्रेरित पौलुस की “बुराई से घृणा करो” और “भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे से स्नेह रखो” की आज्ञा पूरी कर सकते हैं (रोमिमों 12:9-10) l यद्यपि वह अपने चारों ओर की बुराई का बदला घृणा द्वारा दे सकता था, ओवन्स ने विश्वास से जीने का चुनाव किया और एक व्यक्ति को प्रेम दिखाया जो आगे चलकर उसका मित्र बनने वाला था और आख़िरकार परमेश्वर में विश्वास करने पर विचार करने वाला था l

जब परमेश्वर के लोग “प्रार्थना में नित्य लगे [रहने]” (पद.12), के लिए समर्पित होते हैं वह हमें “आपस में एक सा मन [रखने]” (पद.16) की सामर्थ्य देता है l

हम प्रार्थना पर आधारित होकर, अपने विश्वास को जी सकते हैं और परमेश्वर के स्वरूप में रचे हुए समस्त लोगों से प्रेम कर सकते हैं l जब हम परमेश्वर को पुकारते हैं, वह हमें बेड़ियों को तोड़ने और हमारे पड़ोसियों के साथ पुल बांधने में/अंतर मिटाने में सहायता करेगा l