पेरिस में नोट्रे डेम कैथेड्रल(प्रधान गिरजाघर) एक भव्य ईमारत है l उसकी शिल्पकारी मंत्रमुग्ध करनेवाली है, और उसकी खिडकियों के रंगीन कांच एवं खुबसूरत आंतरिक विशेषताएँ असाधारण हैं l शताब्दियों से पेरिस के परिदृश्य में गगनचुंबी, उसे नवीनीकरण की आवश्यकता पड़ी – जो उस समय आरम्भ हुआ जब एक विनाशकारी आग ने उस शानदार पुराने इमारत को अत्यंत हानि पहुंचाई l

इसलिए इस आठ शताब्दी पुरानी ऐतिहासिक स्थल से प्रेम करनेवाले लोग इसे बचाने के लिए आ रहे हैं l इस इमारत के नवीनीकरण के लिए दस खरब डॉलर से अधिक बटोरा गया है l पत्थर की इस संरचना को दृढ़ करने की ज़रूरत है l क्षतिग्रस्त आंतरिक भाग और उसकी अभिलाषित शिल्पकृति की मरम्मत ज़रूरी है l यद्यपि, प्रयास उचित है, क्योंकि यह पुराना कैथेड्रल अनेक लोगों के लिए आशा का प्रतीक है l

जो इमारतों के लिए सच है वह हमारे लिए भी सच है l इस पुराने चर्च की तरह, हमारे शरीर, आख़िरकार धारण करने के लिए थोड़ा और खराब दिखाई देने लगेंगे! परन्तु जिस प्रकार प्रेरित पौलुस समझाता है, समाचार अच्छा है : जबकि हमारी जवानी की शारीरिक गूंज शनै-शनै कम होती जाएगी, हमारे व्यक्तित्व का सार/मूल –हमारा आत्मिक व्यक्तित्व – निरंतर नया होता जाता है और उन्नति करता है (2 कुरिन्थियों 4:16) l

जब हम पवित्र आत्मा पर हमें भरने और हमें नवीन बनाने के लिए “उसे भाते [रहने का लक्ष्य बनाते हैं]” (5:9), हमारी आत्मिक उन्नति को ठहरने की ज़रूरत नहीं है – चाहे हमारी “ईमारत” कैसी भी दिखाई दे l