जैसा कि तूफ़ान फ्लोरेंस विनाशकारी बल के साथ, उत्तरी कैरोलिना के विल्मिंगटंग पर असर डाल रहा था, मेरी बेटी ने अपना घर छोड़ने की तैयारी की l उसने अंतिम क्षण तक इंतज़ार किया था, इस उम्मीद से कि तूफ़ान दिशा बदल देगा l लेकिन अब वह जल्दी-जल्दी महत्वपूर्ण काग़ज़ों, चित्रों, और सामानों को अपने साथ ले जाने के लिए छाँट रही थी l “मुझे उम्मीद नहीं थी कि इसे छोड़ना इतना कठिन होगा,” उसने मुझे बाद में बताया, “लेकिन उस क्षण मुझे नहीं पता था कि जब मैं लौटूंगी तो वहाँ कुछ भी नहीं होगा l”

जीवन के तूफ़ान कई रूप में आते हैं : तूफ़ान, बवंडर, भूकंप, बाढ़, विवाह में या बच्चों के साथ अप्रत्याशित समस्याएँ, स्वास्थ्य या पैसे की अचानक हानि l जिनको हम इतना अधिक अहमियत देते हैं वे एक पल में बह जा सकते हैं l

तूफानों के बीच, पवित्र वचन हमें सबसे सुरक्षित स्थान की ओर इशारा करता है : “परमेश्वर हमारा शरणस्थान और गढ़ है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक l इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएँ” (भजन 46:1-2) l  

भजन के लिखनेवाले एक ऐसे व्यक्ति के वंशज थे, जो पीढ़ियों पहले परमेश्वर की सेवा करते थे, लेकिन फिर उनके विरुद्ध विद्रोह कर दिया और भूकंप में मारे गए (गिनती 26:9-11) l उनके द्वारा साझा किया गया दृष्टिकोण परमेश्वर की महानता, करुणा और छुड़ानेवाला प्रेम है l

मुसीबतें आती हैं, लेकिन परमेश्वर उन सभी को पीछे छोड़ देता है l जो लोग उद्धारकर्ता के पास जाते हैं वे जान जाते हैं कि वह डिग नहीं सकता है l उनके शाश्वत प्रेम की भुजाओं में हमें अपनी शांति का स्थान मिलता है l