जब इथियोपिया की पुलिस ने उसके अपहरण के एक सप्ताह के बाद उसे पाया, तो वह घने काले बाल वाले तीन शेरों से घिरी हुयी थी जैसे कि वह उनकी थी l सात लोगों ने उस बारह वर्षीय लड़की का अपहरण करके उसे जंगल में ले जाकर उसे पीटा था l आश्चर्यजनक रूप से, हालाँकि, शेरों का एक छोटा झुण्ड लड़की के रोने की आवाज़ सुनकर आया और हमलावरों को खदेड़ दिया l पुलिस अधिकारी वोंदिमू ने एक पत्रकार को बताया, “[शेरों ने] उस समय तक उसका पहरा दिया जब तक कि हम उसे ढूँढ नहीं लिए और फिर वे उसे एक उपहार की तरह छोड़कर जगल में चले गए l”

ऐसे दिन भी होते है जब हिंसा और बुराई जिस प्रकार इस लड़की पर हावी हुयी थी हम पर भी हावी होकर, हमें बिना किसी उम्मीद और भय के छोड़ देती है l प्राचीन काल में, यहूदा के लोगों ने इसका अनुभव किया था l क्रूर सेना ने उन पर आक्रमण किया और वे किसी भी प्रकार भाग न सके l भय ने उन्हें भस्म कर दिया l हालाँकि, परमेश्वर ने हमेशा अपने लोगों के साथ अपनी निरंतर उपस्थिति को नवीकृत किया : “इस्राएल का राजा यहोवा तेरे बीच में है, इसलिए तू फिर विपत्ति न भोगेगी” (सपन्याह 3:15) l जब हमारी तबाही हमारे विद्रोह के परिणामस्वरूप होती है, तब भी परमेश्वर हमारे बचाव में आताह है l हम सुनते हैं, “तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में है, वह उद्धार करने में पराक्रमी है” (पद.17) l

जो भी मुसीबतें हमें घेर लेती हैं, जो भी बुराइयाँ है, यीशु – यहूदा का शेर – हमारे साथ है (प्रकाशितवाक्य 5:5) l कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितना अकेला महसूस करते हैं, हमारा मजबूत उद्धारकर्ता हमारे साथ है l इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सा डर हमें नाश करता है, हमारा परमेश्वर हमें भरोसा दिलाता है कि वह हमारी ओर है l