जब मेरी सहेली को कैंसर का निदान मिला, तो डॉक्टर ने उसे अपने सभी मामले व्यवस्थित करने की सलाह दी l अपने पति और छोटे बच्चों के विषय चिंता करते हुए, उसने मुझे फोन किया l मैंने अपने आपसी मित्रों के साथ उसका तत्काल प्रार्थना अनुरोध साझा किया l हमें प्रसन्नता हुयी जब एक दूसरे डॉक्टर ने उसे कभी उम्मीद न छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया और पुष्टि की कि उसकी टीम अपनी ओर से उसकी मदद के लिए पूरी कोशिश करेगी l हालाँकि कुछ दिन दूसरों की तुलना में कठिन थे, उसने अपने खिलाफ कड़ी बाधाओं के बजाय परमेश्वर पर ध्यान केन्द्रित किया l उसने कभी हार नहीं मानी l

मेरी सहेली का दृढ विश्वास मुझे लूका 8 में हताश महिला की याद दिलाता है l बारह साल से चल रही पीड़ा, निराशा और अलगाव के कारण, उसने पीछे से यीशु से संपर्क किया और अपने हाथ को उसके वस्त्र की छोर की ओर बढ़ाया l उसके तत्काल चंगाई ने उसके विश्वास के कार्य का अनुसरण किया : लगातार उम्मीद करना . . .  विश्वास करना कि यीशु वह करने में सक्षम था जो दूसरे नहीं कर सकते थे . . . इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसकी स्थिति कितनी ससंभव दिखाई दे रही थी (पद.43-44) l

हम दर्द का अनुभव कर सकते हैं जो अंतहीन महसूस होता है, ऐसी परिस्थितियाँ जो निराशाजनक दिखती हैं, या प्रतीक्षा जो असहनीय लगती हैं l हम उन क्षणों को सहन कर सकते हैं जब हमारे खिलाफ कठिनाईयों को ऊँचा और व्यापक रूप से ढेर किया जाता है l हम उस चंगाई का अनुभव नहीं कर सकते हैं जिसकी हमें इच्छा है, जब हम मसीह पर भरोसा करना जारी रखते हैं l लेकिन फिर भी, यीशु हमें उसके निकट पहुँचने के लिए आमंत्रित करता है, उस पर भरोसा करने के लिए और कभी आशा नहीं छोड़ने के लिए, और यह विश्वास करने के लिए कि वह हमेशा सक्षम है, हमेशा भरोसे के योग्य है, और हमेशा पहुँच के भीतर है l