नैट और शेर्लिन ने न्यूयॉर्क शहर की सैर करते वक्त ओमाकेस(omakase) रेस्टोरेंट में रुककर अपने विश्राम का आनंद लिया l ओमाकेस एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है, “मैं आपके ऊपर छोड़ देता हूँ,” जिसका मतलब है कि ऐसे रेस्टोरेंट में ग्राहक शेफ(रसोइया) को अपना भोजन चुनने देते हैं l भले ही यह इस प्रकार के व्यंजनों को आजमाने का उनका पहला मौका था और यह जोखिम भरा लग रहा था, उन्हें शेफ द्वारा चुना गया और तैयार किया गया भोजन पसंद आया l

यह विचार हमारी प्रार्थना अनुरोधों के साथ परमेश्वर के प्रति हमारे रुख़ को आगे ले जा सकता है : “मैं इसे तुम्हारे ऊपर छोड़ दूंगा l” शिष्यों ने देखा कि यीशु “जंगलों में अलग जाकर प्रार्थना किया करता था” (लूका 5:16), इसलिए एक दिन उन्होंने उससे प्रार्थना करना सिखाने का अनुरोध किया l उसने उन्हें अपनी दैनिक आवश्यकताओं, क्षमा, और प्रलोभनों से बाहर निकलने का मार्ग पूछने के लिए कहा l उसके प्रत्युत्तर का एक भाग आत्मसमर्पण का एक दृष्टिकोण भी सुझाता है : “तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो” (मत्ती 6:10) l

हम अपनी ज़रूरतों को परमेश्वर के समक्ष पहुँचा सकते हैं क्योंकि वह सुनना चाहता है कि हमारे हृदय में क्या है – और वह देने में आनंदित होता है l परन्तु मानवीय और परिमित होने के कारण, हम हमेशा यह नहीं जानते हैं कि क्या सर्वोत्तम है, इसलिए यह केवल विनम्र भाव से समर्पण के साथ उससे पूछने में समझदारी है l उत्तर हम उसपर छोड़ सकते हैं, निश्चित रहते हुए कि वह भरोसेमंद है और हमारे लिए सर्वोत्तम का चुनाव करेगा l