मेरे परिवार की एक सदस्या के एक अलग धर्म में परिवर्तित होने के बाद, मसीही मित्रों ने मुझे उसे यीशु के पास लौटने के लिए “मनाने” का आग्रह किया l मैंने खुद को पहली बार अपने परिवार की सदस्या से यीशु की तरह प्यार करने की कोशिश करते हुए पाया – सार्वजनिक स्थानों पर भी जहाँ कुछ लोगों ने “विदेशी-दिखने” वाले उसके वस्त्रों पर नाक भौं चढ़ाए l अन्य लोगों ने भी असभ्य टिप्पणियाँ की l “अपने घर जाओ!” एक व्यक्ति ने अपने ट्रक पर से उस पर चिल्लाया, नहीं जानते हुए या जाहिर तौर पर परवाह करते हुए कि वह पहले से ही “घर” पर है l

मूसा ने उन लोगों के प्रति व्यवहार करने का एक और कोमल तरीका सिखाया, जिनके वस्त्र या विश्वास अलग महसूस होते हैं l और दया के नियम सिखाते हुए, मूसा ने इस्राएल की संतानों को निर्देश दिया, “तुम परदेशी को न सताना और न उस पर अंधेर करना, क्योंकि मिस्र देश में तुम भी परदेशी थे” (निर्गमन 23:9) l यह अध्यादेश सभी परदेशियों, पूर्वाग्रह और दुर्व्यवहार के प्रति संवेदनशील लोगों के लिए परमेश्वर की चिंता व्यक्त करता है, और यह निर्गमन और लैव्यव्यवस्था 19:33 में दोहराया गया है l

इसलिए जब मैं अपने परिवार के सदस्य के साथ बात करने के लिए समय बिताती हूँ – एक रेस्टोरेंट में, एक पार्क में, एक साथ टहलने या बैठने और अपने सामने वाले पोर्च के नीचे – मैं सबसे पहले उसे उसी दया और सम्मान को दिखाने की तलाश करती हूँ जो अनुभव मैं चाहती हूँ l यह यीशु के मधुर प्रेम को उसे याद दिलाने का एक सबसे अच्छा तरीका है, उसको अस्वीकार करने के लिए उसका अपमान करके नहीं, बल्कि उसे प्यार करते हुए, जैसा कि वह हम सभी से प्यार करता है – अद्भुत अनुग्रह के साथ l