हाल ही में, हमारे चर्च के कई लोग – जिन्होनें अपने पिता के साथ ख़राब संबंधों का अनुभव किया था, ने मुझे एक प्रेमी, पिता के रूप में खड़े होने और उनके ऊपर आशीष माँगने के लिए कहा l उस आशीष ने उन तरीकों के लिए माफ़ी मांगी जिससे एक पिता अपने बच्चों को चोट पहुँचा सकता है जब वह उनसे बहुत ऊँचीं या बहुत दूर की अपेक्षाएँ करता है और कोमल उपस्थिति और समर्थन देने में विफल होता है l इसने प्रसन्नता, प्रशंसा और प्रचुर प्रेम का भी उच्चारण किया l आशीष साझा करते समय, मैं रोया l मुझे अहसास हुआ कि मुझे अभी भी ऐसे शब्दों की आवश्यकता है, और मेरे बच्चों को भी उनकी कितनी अधिक आवश्यकता है l

पवित्रशास्त्र बार-बार परमेश्वर को हमारे पिता के रूप में बताता है, जो हमारे पास मौजूद विकृत पिता की छवि को पुनः आकार देने की वास्तविकता है l परमेश्वर, हमारे अनंत पिता, ने हमसे सिद्ध “प्रेम” करके हमें “परमेश्वर की संतान” बनाया है (1 युहन्ना 3:1) l परमेश्वर के पुत्र और पुत्रियों के रूप में हमारी पहचान हमें अनिश्चित, भय उत्पन्न करने वाले संसार में स्थापित करता है l “हम परमेश्वर की संतान हैं,” युहन्ना कहता है, “भले ही अभी तक यह प्रगट नहीं हुआ” है (पद:2) l मौजूद चुनौतियों का सामना करते हुए, हम सभी सही मायने में भरोसा कर सकते हैं कि हमारा पिता हमसे प्रेम करता है और हमारे लिए प्रबंध करता है और कभी रुकता नहीं l जब सब कुछ कह दिया जाता है और कर दिया जाता है, परमेश्वर यूहन्ना के प्रेरित शब्दों के द्वारा कहते हैं, हम निश्चित हो सकते हैं कि हम उसके समान होंगे (पद.2)

हमारी चिंताओं, घावों और असफलताओं के बीच, हमारा अच्छा पिता अनंत प्रेम की आशीष बरसता है l परमेश्वर बल देता है कि हम उससे सम्बद्ध हों, क्योंकि उसने हमें अपने बच्चे बनाया है l