किंवदंती में है कि मध्ययुगीन नक्शों के किनारों पर, दुनिया के मानचित्रों के रचनाकार के अनुसार ज्ञात सीमाएं “यहाँ खतरे(ड्रैगन/दैत्य) हो सकते हैं? – शब्दों से चिन्हित होते थे –अक्सर भयानक जानवरों के ज्वलंत चित्रण के साथ जिनके विषय मान्यता थी कि संभवतः वे वहाँ दुबके हुए हैं l

प्राचीन मानचित्रकार वास्तव में इन शब्दों को लिखें है इसके अधिक प्रमाण नहीं हैं, परन्तु मैं विचार करना चाहता हूँ कि वे लिखे होंगे l हो सकता है क्योंकि “यहाँ खतरे(ड्रैगन/दैत्य) हो सकते हैं” कुछ ऐसा महसूस होता है जैसे मैंने उस समय लिखा हो – एक गंभीर चेतावनी जो कि मुझे नहीं पता कि अगर मैं बड़े अज्ञात में पहुँच गया तो क्या होगा, यह संभवतः अच्छा नहीं होगा!

लेकिन आत्म-रक्षा और जोखिम-निवारण की मेरी पसंदीदा नीति के साथ एक विकराल समस्या है : यह उस साहस के विपरीत है जिसके लिए मुझे यीशु में विश्वासी के रूप में बुलाया गया है (2 तीमुथियुस 1:7) l 

कोई यह भी कह सकता है कि वास्तव में खतरनाक क्या है के विषय मैं गुमराह हूँ l जैसा कि पौलुस ने समझाया, कि एक टूटे संसार में बहादुरी से मसीह का अनुसरण पीड़ादायक हो सकता है (पद.8) l परन्तु जैसा कि हमें मृत्यु से जीवन में लाया गया है और आत्मा का जीवन सौंपा गया है जो हमारे द्वारा बहता है (पद.9-10, 14), तो हम कैसे नहीं कर सकते हैं? 

जब परमेश्वर हमें एक उपहार देता है डर से पीछे हटने की यह लड़खड़ाहट, वास्तविक त्रासदी होगी –किसी भी चीज का जिसका सामना हम करेंगे से कही अधिक बदतर होगी जब हम मसीह की अगुवाई में अनधिकृत क्षेत्र में चलते हैं (पद.6-8, 12) l हमारे दिल और हमारे भविष्य से उस पर भरोसा किया जा सकता है (पद.12) l