वालस स्टेग्नर की माँ की मृत्यु पचास वर्ष की उम्र में हुयी l जब वालस अस्सी वर्ष का हुआ, उसने अंततः उन्हें एक पत्र लिखा – “पत्र, बहुत देर बाद(Letter, Much Too Late)” – जिसमें उसने एक महिला के गुणों की प्रशंसा की, जो बड़ी हुयी, जिसने विवाह किया, और कठिन दिनों की कठोरता में दो बेटों की परवरिश की l वह उस प्रकार की पत्नी और माँ थी जो उत्साहित करनेवाली थी, यहाँ तक कि उन लोगों के लिए भी जो कम चाहने योग्य थे l उसने अपनी माँ की आवाज़ की ताकत से उन्हें याद किया l उसने लिखा : “तुमने कभी गाने का अवसर नहीं खोया l” जब तक वह जीवित रही, उसकी माँ ने बड़ी और छोटी आशीषों के लिए धन्यवाद देते हुए गाया l

भजनकार ने भी गाने का अवसर जाने नहीं दिया l उसने तब गाया जब दिन अच्छे थे, और जब वे इतने अच्छे नहीं थे l गीत विवशता अथवा दबाव में नहीं थे, परन्तु “आकाश और पृथ्वी . . . [के] कर्ता” (146:6) के प्रति स्वाभाविक प्रतिउत्तर था और किस प्रकार वह “भूखों को रोटी देता है” (पद.7) और “अंधों को आँखें देता है” (पद.8) और “अनाथों और विधवा .को . . . संभालता है” (पद.9) l यह वास्तव में गायन की जीवन शैली है, जो समय के साथ-साथ ताकत पैदा करता है जब दैनिक भरोसा “याकूब के परमेश्वर” में रखा जाता है जो “सदा के लिए” विश्वासयोग्य रहता है (पद.5-6) l 

हमारी आवाजों की गुणवत्ता मुद्दा नहीं है, परन्तु परमेश्वर की भलाई की निरंतरता के लिए हमारा प्रत्युत्तर – प्रशंसा की जीवन शैली l जैसा कि पुराना गीत कहता है : मेरे दिल के भीतर एक मधुर गीत है l”