सत्रहवीं शताब्दी में, सर आइजक न्यूटन ने प्रिज्म का उपयोग यह अध्ययन करने के लिए किया था कि प्रकाश हमें विभिन्न रंगों को देखने में कैसे मदद करता है l उन्होंने पाया कि जब प्रकाश किसी वस्तु से गुजरता है, तो वस्तु एक विशिष्ट रंग की होती है l जबकि एकल बर्फ क्रिस्टल पारभासी दिखता है, बर्फ कई बर्फ के क्रिस्टलों से मिलकर बनता है l जब प्रकाश सभी क्रिस्टल से गुजरता है तो बर्फ सफ़ेद दिखाई देता है l 

बाइबल कुछ और का उल्लेख करती है जिसमें एक निश्चित रंग है – पाप l यशायाह नबी के द्वारा, परमेश्वर ने यहूदा के लोगों के पापों का सामना किया और उनके पाप को “लाल रंग की तरह” और “अर्गवानी रंग” के रूप में वर्णित किया, लेकिन परमेश्वर ने वादा किया कि वे “बर्फ की तरह सफ़ेद” होंगे (यशायाह 1:18) l कैसे? यहूदा को गलत कामों से दूर रहने और परमेश्वर की क्षमा मांगने की ज़रूरत थी l 

यीशु को धन्यवाद, हमारे पास परमेश्वर की क्षमा तक स्थायी पहुँच है l यीशु ने खुद को “जगत की ज्योति” संबोधित किया और कहा कि जो कोई भी उसका अनुसरण करता है “वह अंधकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा” (युहन्ना 8:12) l जब हम अपने पापों का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर हमें क्षमा करता है और हम क्रूस पर मसीह के बलिदान के प्रकाश के माध्यम से देखे जाते हैं l इसका अर्थ यह है कि परमेश्वर हमें देखता है जैसे वह यीशु को देखता है अर्थात् निर्दोष l 

हमने जो कुछ भी गलत किया है, उसके लिए हमें अपराधबोध और लज्जा की स्थिति में नहीं रहना पड़ेगा l इसके बजाय, हम परमेश्वर की क्षमा के सत्य को थाम सकते हैं, जो हमें बर्फ के समान सफ़ेद” बनाता है l