शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक रूप से थकने के बाद, मैं अपनी आराम कुर्सी में बैठ गयी l हमारे परिवार ने परमेश्वर की अगुवाई में तेलेंगाना से कर्नाटक चले आये थे l हमारे आने के बाद, हमारी कार खराब हो गयी और दो महीनों तक हमारे पास वाहन नहीं था l इस बीच, अप्रत्याशित पीठ की सर्जरी के बाद मेरे पति की सीमित गतिशीलता और मेरे पुराने दर्द ने हमारे सामान के खोलने को जटिल बना दिया l हमने अपने नए घर में, जो पुराना था महँगी समस्याओं का सामना किया l हमारा बूढ़ा कुत्ता स्वास्थ्य समस्याओं से जूझा l और यद्यपि हमें हमारे नए पिल्ले ने आनंद दिया, उर्जा से भरा इस रोयेंदार पिल्ले की सेवा करना अपेक्षा से परे था l मेरा रवैया अप्रिय हो गया l कठिनाइयों के ऊबड़खाबड़ मार्ग पर यात्रा करते समय किस तरह मुझमें अटल विश्वास होना चाहिए था? 

जैसे कि मैंने प्रार्थना की, परमेश्वर ने मुझे भजनकार की याद दिलाई, जिसकी प्रशंसा परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती है l दाऊद ने अपने भावनाओं को बाहर निकाला, अक्सर बहुत अधिक अतिसंवेदनशीलता के साथ, और परमेश्वर की उपस्थिति में शरण मांगी (भजन 16:1) l परमेश्वर को प्रदाता और रक्षक (पद.5-6) के रूप में स्वीकार करते हुए, उन्होंने उसकी प्रशंसा की और उसके परामर्श का पालन किया (पद.7) l दाऊद ने पुष्टि की कि वह  “कभी न [डगमगाएगा]” क्योंकि उसने “यहोवा को निरंतर अपने सम्मुख रखा है” (पद.8) l इसलिए, वह आनंदित हुआ और परमेश्वर की उपस्थिति की ख़ुशी में विश्राम किया (पद.9-11) l 

हम भी जानने में प्रसन्न हो सकते हैं कि हमारी अपनी शांति वर्तमान स्थिति पर निर्भर नहीं करती है l जब हम अपने अपरिवर्तनीय परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं कि वह कौन है और हमेशा रहेगा, उसकी उपस्थिति हमारे दृढ़ विश्वास को बढ़ाएगी l