छोटे लड़के ने उत्साह से सेना में कार्यरत पिता से प्राप्त एक डिब्बा खोला, जिनके बारे में उसका मानना था कि वे उसका जन्मदिन मनाने घर नहीं आ पाएँगे l उस डिब्बे के अन्दर लिपटा हुआ एक और उपहार था, और उस डिब्बे के अन्दर एक और जिसमें एक कागज़ के टुकड़े पर लिखा था, “आश्चर्य!” l उलझन में, उस लड़के ने ऊपर देखा – जब तुरंत ही उसका पिता कमरे में प्रवेश किया l आंसुओं के साथ वह बेटा चिल्लाते हुए अपने पिता की बाहों में कूद पड़ा, “डैडी, आई मिस्ड यू” और “आई लव यू!”

वह आश्रुपुरित लेकिन आनंदित पुनर्मिलन मेरे लिए प्रकाशितवाक्य 21 के हृदय के महिमामय क्षण के वर्णन को अधिकार में कर लेता है जब परमेश्वर की संतान अपने प्रेमी पिता को आमने-सामने देखते है – पूरी तरह नवीनीकृत और बहाल सृष्टि में l वहाँ “[परमेश्वर हमारी] आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा l” फिर हम कभी दर्द या दुःख का अनुभव नहीं करेंगे, क्योंकि हम अपने स्वर्गिक पिता के साथ होंगे l जिस प्रकार प्रकाशितवाक्य 21 में “ऊँचे शब्द” द्वारा घोषणा होती है, “देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है l वह उनके साथ डेरा करेगा . . . “ (पद.3-4) l 

एक कोमल प्रेम और आनंद है जिसका यीशु के अनुयायी पहले से ही परमेश्वर के साथ आनंद लेते हैं, जैसा कि 1 पतरस 1:8 वर्णन करता है : “उससे तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास करके ऐसे आनंदित और मगन होते हो जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है l” फिर भी हमारे अविश्वसनीय, उमड़ते आनंद की कल्पना करें जब हम उसे देखेंगे जिसे हम प्यार करते थे और लालसा करते थे कि उसकी खुली बाहें हमारा स्वागत करेंगी!