जॉनसन ने बचपन से एक नौसेना कमांडो बनने का सपना देखा था – एक महत्वकांक्षा जिसने वर्षों तक शारीरिक अनुशासन और आत्म-बलिदान का नेतृत्व किया l अंततः उसने ताकत और धीरज के भीषण परीक्षणों का सामना किया, जिसमें प्रशिक्षुओं द्वारा संदर्भित “नरक सप्ताह” भी शामिल था l 

जॉनसन शारीरिक रूप से थकानेवाले प्रशिक्षण को पूरा करने में असमर्थ रहा, और कमांडर और अन्य प्रशिक्षुओं को कार्यक्रम छोड़ने के अपने चुनाव के विषय सूचित करने के लिए अनिच्छा से एक घंटी बजा दी l ज्यादातर के लिए, यह एक विफलता की तरह महसूस होता l लेकिन अत्यधिक निराशा के बावजूद, जॉनसन ने बाद में अपने सैन्य विफलता को अपने जीवन के काम की तैयारी के रूप में देख पाया l  

प्रेरित पतरस ने असफलता के अपने रूप का अनुभव किया l उसने साहसपूर्वक यह घोषणा की कि वह जेल या मृत्यु तक भी यीशु के प्रति वफादार रहेगा (लूका 22:33) l फिर भी बाद में वह फूट-फूट कर रोने लगा जब उसने इनकार किया कि वह यीशु को जानता था (60-62)  l लेकिन परमेश्वर के पास उसकी असफलता से परे योजनाएँ थीं l पतरस के इनकार करने से पहले, यीशु ने उसे सूचित किया, “मैं तुझ से सच कहता हूँ कि तू पतरस है, और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा, और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल नहीं होंगे” (मत्ती 16:18; लूका 22:31-32 को भी देखें) l 

क्या आप असफलता से जूझ रहे हैं जिससे आप आगे बढ़ने के लिए अयोग्य या अपात्र महसूस कर रहे हैं? असफलता की बजती हुयी घंटी को आप के लिए परमेश्वर के बड़े उद्देश्यों को छोड़ने का कारण न बनने दें l