मैथ्यू एक गंभीर सिरदर्द के साथ जागा और उसने सोचा कि यह एक और माइग्रेन(अधकपारी) है। लेकिन जब वह बिस्तर से बाहर निकला, तो वह फर्श पर गिर गया। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने उसे बताया कि उसे दौरा पड़ा है। चार महीनों के पुनर्वास के बाद, उसने सोचने और बात करने की अपनी क्षमता को पुनः प्राप्त किया लेकिन फिर भी पीड़ा के साथ लंगड़ा कर चलता है। वह अक्सर निराशा के साथ संघर्ष करता है, लेकिन उसे अय्यूब की पुस्तक से बहुत आराम मिलता है।
अय्यूब ने अपने सारी दौलत और अपने बच्चों को रातोंरात खो दिया l खौफनाक खबर के बावजूद, पहले उसने परमेश्वर को आशा से देखा और सब कुछ का श्रोत होने के लिए उसकी प्रशंसा किया। उसने विपत्ति के समय में भी परमेश्वर के प्रभुत्व को स्वीकार किया (अय्यूब 1:21) l हम उसके मजबूत विश्वास पर अचंभित हैं, लेकिन अय्यूब ने निराशा के साथ भी संघर्ष किया। जब उसने अपने स्वास्थ्य को भी खो दिया (2:7), उसने अपने जन्म के दिन को श्राप दिया (3:1)। वह अपने मित्रों और परमेश्वर के साथ अपनी पीड़ा के सम्बन्ध में ईमानदार था। आखिरकार, यद्यपि, इस निश्चय पर पहुंचा कि परमेश्वर की ओर से अच्छा और बुरा दोनों आता है (13:15; 19:25-27)।
हमारे कष्टों में, हम भी निराशा और आशा, संदेह और विशवास के बीच खुद को दुविधा में पड़ा हुआ पाते हैं। परमेश्वर नहीं चाहता की हम कठिनाई के समक्ष निडर हों परन्तु अपने प्रश्नों के साथ उसके निकट जाने के लिए हमें आमंत्रित किया है। हालाँकि हमारा विश्वास कई बार विफल हो सकता है, लेकिन हम परमेश्वर पर हमेशा विश्वासयोग्य रहने पर भरोसा कर सकते हैं।