Month: जुलाई 2020

चमकनेवाली ज्योति

पाँच सप्ताह की बाइबल कक्षा के बारे में मुझे घबराहट हुई जिसे मैं स्थानीय चर्च में सिखाने के लिए तैयार हुआ था l क्या विद्यार्थी इसे पसंद करेंगे? क्या वे मुझे पसंद करेंगे? मेरी चिंता गलत ढंग से केन्द्रित थी, जिसने मुझे पाठ योजनाओं, प्रस्तुति स्लाइड्स(Slides), और क्लास विज्ञप्ति पत्रक(Handouts) को आवश्यकता से अधिक तैयार करने के लिए प्रेरित किया l फिर भी एक सप्ताह पहले तक, मैंने अभी भी कई लोगों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया था l

प्रार्थना में, हालाँकि, मुझे याद दिलाया गया कि कक्षा एक ऐसी सेवा थी जो परमेश्वर पर प्रकाश डालती थी l क्योंकि पवित्र आत्मा लोगों को हमारे स्वर्गीय पिता को इंगित करने के लिए कक्षा का उपयोग करेगा, मैं सार्वजनिक बोलने के बारे में अपनी घबराहट को अलग कर सकता था l जब यीशु ने अपने चेलों को अपना पहाड़ी उपदेश में सिखाया, तो उसने उनसे कहा, “तुम जगत की क्योंति हो l जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता l और लोग दीया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुँचता है” (मत्ती 5:14-15) l

उन शब्दों को पढ़ते हुए, मैंने आखिरकार सोशल मिडिया पर एक कक्षा की घोषणा की l लगभग तुरंत, लोगों ने पंजीकरण शुरू किया – आभार और उत्साह व्यक्त किया l उनकी प्रतिक्रियाओं को देखकर, मैंने यीशु की शिक्षा पर और अधिक विचार किया : “उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बडाई करें l

उस परीप्रेक्ष्य के साथ, मैंने कक्षा को आनंद के साथ पढ़ाया l मैं प्रार्थना करता हूँ कि मेरा सरल काम एक प्रकाशस्तंभ बन जाए और दूसरों को भी परमेश्वर के लिए अपना प्रकाश चमकाने के लिए प्रोत्साहित करे l

ज़रुरतमंदों को स्पर्श करें

जब मदर टेरेसा को शान्ति नोबेल पुरस्कार मिला तो यह आश्चर्य की बात नहीं थी l जैसे अपेक्षित था, उन्होंने “भूखों के नाम पर, वंचित, बेघर, दृष्टिहीन, कुष्ठ रोगियों, और जो अनचाहा महसूस करते हैं, जिनसे कोई प्यार नहीं करता, समस्त समाज में जिनकी कोई देखभाल नहीं करता” के नाम पर यह पुरस्कार प्राप्त किया l अपने जवानी के अधिकाँश समय में उन्होंने ऐसे ही लोगों की सेवा की l

परिस्थितियों की परवाह किये बिना, यीशु ने हाशिए पर जीनेवालों की देखभाल करने और उससे प्यार करने का नमूना दर्शाया l आराधनालय के अगुओं के विपरीत, जो बीमारों से अधिक सब्त के दिन के नियम का आदर करते थे (लूका 13:14), जब यीशु ने मंदिर में एक बीमार महिला को देखा, तो वह दया से द्रवित हो गया l उसने शारीरिक कमजोरी से परे परमेश्वर की सुन्दर रचना देखी जो बंधन में थी l उसने उसे अपने पास बुलाया और कहा कि वह ठीक हो गयी है l तब उसने “उस पर हाथ रखे, और वह तुरंत सीधी हो गयी और परमेश्वर की बड़ाई करने लगी” (पद.13) l उसे छूकर, उसने आराधनालय के अगुओं को परेशान किया क्योंकि वह सब्त था l सब्त के प्रभु, यीशु ने, (लूका 6:5) दया करके उस महिला को ठीक करने के लिए चुना – एक ऐसी महिला जिसने लगभग दो दशकों तक कष्ट और अपमान का सामना किया l

मुझे आश्चर्य है कि हम कितनी बार किसी को अपनी अनुकम्पा के योग्य नहीं देखते हैं l या शायद हमने अस्वीकृति का अनुभव किया है क्योंकि शायद हमने किसी और के मानक को पूरा नहीं किया हो l हम उस धार्मिक कुलीन वर्ग की तरह नहीं हो सकते जो साथी मनुष्यों की तुलना में नियमों की अधिक परवाह करते थे l इसके बजाय, यीशु के उदाहरण का अनुसरण करें और दूसरों के साथ दया प्रेम और सम्मान के साथ व्यवहार करें l

सामान्य से परे अनुग्रह

विजय एक कानूनी फर्म/कंपनी के लिए काम करता था, जो सुरेश की कंपनी को सलाह देती थी l वे मित्र बन गए – जब तक कि विजय ने कंपनी से लाखों रूपयों का गबन नहीं कर लिया l सुरेश आहत और क्रोधित हुआ जब उसे पता चला, लेकिन उसने मसीह में विश्वास रखने वाले अपने मालिक से बुद्धिमान परामर्श प्राप्त किया l उसके मालिक ने देखा कि विजन बहुत शर्मिंदा और पश्चातापी था, और उसने सुरेश को आरोप मुक्त करने और विजय को नौकरी देने की सलाह दी l “उसे एक उचित वेतन का भुगतान करें ताकि वह वापस कर सके l आपके पास कभी भी अधिक आभारी, वफादार कर्मचारी नहीं होगा l” सुरेश ने किया, और विजय वफादार हुआ l

राजा शाऊल के पोते मपिबोशेत ने कुछ भी गलत नहीं किया था, लेकिन जब दाऊद राजा बना, तब वह एक कठिन जगह पर था l अधिकाँश राजाओं ने राजवंशों को घात किया l लेकिन दाऊद राजा शाऊल के बेटे योनातान से प्यार करता था, और उसके जीवित बेटे को अपना मानता था (देखें 2 शमूएल 9:1-13) l उसकी कृपा से जीवन भर के लिए एक दोस्त को जीत लिया l मपिबोशेत ने आश्चर्य किया कि “मेरे पिता का समस्त घराना तेरी ओर से प्राण दंड के योग्य था; परन्तु तू ने अपने दास को अपनी मेज पर खाने वालों में गिना है” (19:28) l वह दाऊद के प्रति तब भी वफादार रहा जब दाऊद के पुत्र अबशालोम ने दाऊद को यरूशलेम से भगाया (2 शमूएल 16:1-4; 19:24-30) l

क्या आप जीवन भर के लिए एक वफादार मित्र चाहते हैं? कोई जो असाधारण है आपको उसके लिए कुछ असाधारण करने की ज़रूरत हो सकती है l जब सामान्य ज्ञान दंड का चुनाव करता है, तो आप अनुग्रह का चुनाव करें l उन्हें जवाबदेह ठहराएं, लेकिन अयोग्य लोगों को सही बनने का मौका दें l आप कभी भी अधिक आभारी, समर्पित दोस्त नहीं पा सकते हैं l सामान्य से परे, अनुग्रह के साथ सोचें l

दुःख में परमेश्वर पर भरोसा

जब “पापा जॉन” नाम से पहचाने जाने वाले व्यक्ति को पता चला कि उसे जीवघातक कैंसर है, तो उसने और उसकी पत्नी, कैरल ने, महसूस किया कि परमेश्वर चाहता है कि वह और उसकी पत्नी अपनी जीवनघातक बिमारी को ऑनलाइन साझा करें l यह मानते हुए कि परमेश्वर उनकी दुर्बलता/भेद्यता के द्वारा सेवा करेगा, उन्होंने दो वर्षों तक ख़ुशी के क्षण और अपने दुःख और पीड़ा को पोस्ट किये l

जब कैरल ने लिखा कि उसके पति “यीशु की खुली बाहों में चले गए,” सैंकड़ों लोगों ने प्रत्युत्तर दिया, कईयों ने कैरल को उनके खुलेपन के लिए धन्यवाद किया l एक व्यक्ति ने प्रतिक्रिया किया कि एक मसीही दृष्टिकोण से मृत्यु के विषय सुनना स्वास्थ्यप्रद था, क्योंकि एक दिन “हम सबों को मरना है l” किसी और ने कहा कि यद्यपि व्यक्तिगत रूप से उस जोड़े से उसकी मुलाकात कभी नहीं होगी, वह प्रगट नहीं कर सकती कि उसने परमेश्वर पर उनके भरोसे की साक्षी के द्वारा कितना प्रोत्साहन प्राप्त की l

यद्यपि पापा जॉन ने कभी-कभी अत्यधिक दर्द का सामना किया, फिर भी उन्होंने और कैरल ने अपनी कहानी को साझा किया ताकि वे दर्शा सकें कि परमेश्वर ने उनको कैसे संभाला था l वे जानते थे कि उनकी साक्षी परमेश्वर के लिए फलदायी होगी, दुःख सहते समय पौलुस ने जो तीमुथियुस को लिखा उसको प्रतिध्वनित किया : “मुझे निश्चय है कि वह मेरी धरोहर की उस दिन तक रखवाली कर सकता है” (2 तीमुथियुस 1:12) l

मसीह यीशु में हमें प्राप्त होने वाले अनुग्रह के द्वारा (पद.9) से परमेश्वर हमारे (और दूसरों के विश्वास) को मजबूत करने के लिए किसी प्रियजन की मृत्यु का भी उपयोग कर सकता है l यदि आप पीड़ा और कठिनाई का सामना कर रहे हैं, तो जान लें कि वह आराम और शांति ला सकता है l