कुछ चीजें जब तक आप उनको अनुभव न करें बिलकुल समझ में नहीं आती हैं l जब मैं अपने पहले बच्चे के साथ गर्भवती थी, तो मैंने बच्चे के जन्म के बारे में कई किताबें पढ़ीं और दर्जनों महिलाओं से उनकी प्रसव पीड़ा की कहानियाँ सुनीं l लेकिन मैं अभी भी वास्तव में कल्पना नहीं कर सकती थी कि अनुभव कैसा होगा l मेरा शरीर जो करने वाला था वह असंभव लग रहा था!

1 कुरिन्थियों में पौलुस लिखता है कि परमेश्वर के राज्य में जन्म लेना, उद्धार जो परमेश्वर मसीह के द्वारा हमें देता है, समान रूप से उनके लिए समझ से परे है जिन्होंने उसका अनुभव नहीं किया है l यह कहना “मुर्खता” सी लगती है कि क्रूस के द्वारा उद्धार मिल सकता था – निर्बलता, हार और अपमान द्वारा चिन्हित एक मृत्यु l फिर भी यह “मुर्खता” ही वह उद्धार था पौलुस ने जिसका प्रचार किया!

यह ऐसा नहीं था जिसकी कोई कल्पना कर सकता है l कुछ लोगों ने सोचा कि उद्धार एक मजबूत राजनैतिक नेता या एक चमत्कारी संकेत के द्वारा आयेगा l दूसरों ने सोचा कि उनकी अपनी शैक्षिक या दार्शनिक उपलब्धियां उनका उद्धार बनेंगी (1 कुरिन्थियों 1:22) l लेकिन परमेश्वर ने सभी को इस तरह से उद्धार दिलाकर आश्चर्यचकित कर दिया, जो केवल उन लोगों की समझ में आता है जिन्होंने इसे अनुभव किया l

परमेश्वर ने कुछ शर्मनाक और दुर्बल वस्तु लिया – क्रूस पर एक मृत्यु – और उसे बुद्धिमत्ता और सामर्थ्य का आधार बना दिया l परमेश्वर अकल्पनीय करता है l वह जगत के मूर्खों और निर्बलों को चुनता है कि ज्ञानवानों को लज्जित करे (पद.27) l

और उसका चकित करनेवाले, असंगत तरीके हमेशा ही सर्वोत्तम तरीके होते हैं l