“आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं?” मुझसे एक बच्चे के रूप में अक्सर यह सवाल पुछा जाता  था l और जबाब हवा की तरह बदल जाते थे l एक चिकित्सक l दमकर कर्मी l एक मिशनरी l किसी आराधना का अगुआ l एक भौतिक विज्ञानी – या एक पसंदीदा टीवी चरित्र l अब, चार बच्चों के पिता के रूप में, मुझे लगता है कि उनसे ये सवाल पूछना कितना मुशिकल होगा l ऐसे समय होते हैं जब मैं कहना चाहता हूँ, “मुझे पता है कि तुम किसमें महान बनोगे!” माता-पिता कभी-कभी अपने वच्चों में अधिक देख सकते हैं, जो बच्चे स्वयं में नहीं देख सकते हैं l

फिलिप्पियों के विश्वासियों में पौलुस ने जो देखा, उससे यह समझ में आता है – वे जिनसे वह प्यार करता था और जिनके लिए प्रार्थना करता था (फिलिप्पियों 1:3) l वह अंत देख सकता था; वह जानता था कि जब सब कहा और किया जाएगा तो वे कैसे होंगे l बाइबल हमें कहानी के अंत का भव्य दर्शन देती है – पुनरुत्थान और सभी चीजों का नवीकरण (देखें 1 कुरिन्थियों 15 और प्रकाशितवाक्य 21) l लेकिन यह हमें यह भी बताती है कि कहानी कौन लिख रहा है l

पौलुस ने जेल से लिखे एक पत्र की शुरूआती पंक्तियों में, फिलिप्पी की कलीसिया को याद दिलाया कि “जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा” (फिलिप्पियों 1:6) l यीशु ने काम शुरू किया और वही इसे पूरा करेगा l शब्द पूरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है – कहानी सिर्फ पूरी नहीं होती, क्योंकि परमेश्वर कुछ भी अधुरा नहीं छोड़ता है l