“राजमार्ग पर नहीं जाइएगा!” ये शब्द मेरी बेटी के थे जब मैं काम से लौटने पर था l राजमार्ग प्रत्यक्ष रूप से पार्किंग स्थल बन चूका था l मैंने वैकल्पिक मार्गों की कोशिश शुरू कर दी, दूसरी सड़कों पर रूकावट का अनुभव करने के बाद, मैंने हार मान ली l इस कारण मैं विपरीत दिशा में एक एथलेटिक प्रतियोगिता में गया जिसमें मेरी नातिनी भाग ले रही थी l

यह जानकार कि कोई भी सड़क मुझे घर नहीं ले जाएगी,  मैं ऐसे लोगों के बारे में सोचने को विवश हुआ जो कहते हैं कि सभी सड़कें परमेश्वर के साथ एक शाश्वत संबंध बनाने में अगुवाई करती हैं l कुछ का मानना ​​है कि दयालुता और अच्छे व्यवहार का मार्ग आपको वहां पहुंचाएगा l  दूसरे लोग धार्मिक काम करने की राह चुनते हैं l

उन सड़कों पर भरोसा करना,  हालांकि,  एक बंद गली की ओर जाता है l परमेश्वर की शाश्वत उपस्थिति तक ले जाने वाली केवल एक सड़क है l यीशु ने इसे स्पष्ट किया जब उसने कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता” (यूहन्ना 14:6) l वह प्रकट कर रहा था कि वह हमारे लिए मृत्यु सहने जा रहा था कि पिता के घर में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त करें – उसकी उपस्थिति तक और वर्तमान और अनंत काल तक के लिए वास्तविक जीवन l

उन अवरुद्ध राजमार्गों को छोड़ दें जो परमेश्वर की उपस्थिति तक नहीं ले जाते हैं l इसके बजाय,  यीशु पर उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करें,  क्योंकि “जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनंत जीवन उसका है” (3:36) l और जो लोग पहले से ही उस पर विश्वास करते हैं, उस मार्ग में विश्राम करें जिसका उसने प्रबंध किया है l