“डैडी, क्या आप मेरे लिए पढेंगे?” मेरी बेटी ने पूछा l किसी बच्चे के लिए माता-पिता से इस प्रकार का प्रश्न करना असामान्य नहीं है l लेकिन मेरी बेटी अब ग्यारह वर्ष की है l इन दिनों, इस तरह के अनुरोध उस समय से कम होते हैं जब वह छोटी थी l “हाँ,” मैंने खुशी से कहा, और वह सोफे पर मेरे बगल में सिमट कर बैठ गयी l

जब मैं उसके लिए पढ़ रहा था, वह मानो मुझ से लिपट गयी l माता-पिता के रूप में वह उन शानदार क्षणों में से एक था, जब हम शायद हमारे लिए हमारे पिता के सिद्ध प्यार को महसूस करते है और हमारे लिए उसकी गहरी इच्छा कि हम उसकी उपस्थिति और हमारे लिए उसके प्रेम में “समा जाएँ l”

मुझे उस पल एहसास हुआ कि मैं बहुत हद तक अपने ग्यारह साल के बच्चे की तरह हूँ l अधिकांश समय, मैं स्वतंत्र होने पर ध्यान केंद्रित करता हूँ l हमारे लिए परमेश्वर के प्रेम के स्पर्श से दूर होना कितना सरल है, एक कोमल और सुरक्षात्मक प्रेम जिसका वर्णन भजन 116 “अनुग्रहकारी और धर्मी . . . दया करनेवाला” के रूप में करता है (पद.5) l यह एक प्यार है जहां, मेरी बेटी की तरह, मैं परमेश्वर की गोद में सिमट सकता हूँ, घर पर मेरे लिए उसकी खुशी में l

भजन 116:7 बताता है कि हमें नियमित रूप से अपने आप को परमेश्वर के अच्छे प्रेम की याद दिलाना पड़ सकता है, और फिर प्रतीक्षा कर रही उसकी बाहों में सिमट जाना : “हे मेरे प्राण, तू अपने विश्रामस्थान में लौट आ; क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है l” और वास्तव  में, उसने किया है l