जब दो अग्निशामक,  थके हुए और कालिख लगे हुए,  नाश्ते के लिए एक रेस्तरां में रुके,  तो वेटर ने समाचार से उन पुरुषों को पहचान लिया और उसे एहसास हुआ कि वे रात को गोदाम की आग से जूझ रहे थे l अपना आभार दिखाने के लिए, उसने अपने बिल पर एक नोट लिखा, “आपका नाश्ता आज मेरी ओर से है l आपको धन्यवाद दूसरों की सेवा करने और उन स्थानों में जाने के लिए जिनसे सभी भागते हैं . . . अग्नि द्वारा उर्जित और साहस द्वारा प्रेरित, आप कितने बड़े उदाहरण है l”

पुराने नियम में,  हम तीन युवकों : शद्रक,  मेशक, और अबेदनगो के कार्यों में साहस का एक उदाहरण देखते हैं (दानिय्येल 3) l बेबीलोन के राजा की प्रतिमा को नमन करने के हुक्म का पालन करने के बजाय,  इन युवकों ने साहसपूर्वक अपने इनकार के द्वारा परमेश्वर के लिए अपना प्यार दिखाया l उनका दंड उन्हें धधकते भट्टी में फेंकना था l फिर भी वे लोग पीछे नहीं हटे : “हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्ठे की आग से बचाने की शक्ति रखता है; वरन् हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है l परन्तु यदि नहीं, तो [भी] . . . हम लोग तेरे देवता की उपासना नहीं करेंगे, और न तेरी कड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् करेंगे” (पद.17-18) l

परमेश्वर ने उन्हें सचमुच बचाया और यहाँ तक ​​कि उनके साथ आग में चला भी (पद. 25–27) l आज हमारे अग्निमय आजमाइशों और परेशानियों में,  हमें भी यह निश्चय है कि परमेश्वर  हमारे साथ है l वह सक्षम है l