1800 के दशक के अंत में पांच सालों तक, अमेरिका के एक छोटे शहर में टिड्डियाँ  उतरकर फसलों को बर्बाद कीं l किसानों ने टिड्डियों को तारकोल में फंसाने और उनके अण्डों को नष्ट करने के लिए अपने खेतों में आग लगा दी l हताश महसूस करते हुए और भुखमरी की कगार पर, बहुत से लोगों ने राज्यव्यापी प्रार्थना दिवस की मांग की, जो मिलकर परमेश्वर की सहायता लेने के लिए तरस रहे थे l राज्यपाल नर्म हो गए, और 26 अप्रैल को प्रार्थना करने के लिए अलग कर दिया l

सामूहिक प्रार्थना के बाद के दिनों में,मौसम गर्म हो गया और अण्डों में जान आनी शुरू हो गयी lकिन्तु फिर चार दिन बाद तापमान में गिरावट ने लोगों को आचम्भित और प्रसन्न किया, क्योंकि ठंडे तापमान ने लार्वा को मार डाला l लोग फिर से अपने मक्का, गेहूँ, और जई(oats) का फसल लगाने वाले थे l

यहोशापात राजा के शासनकाल में परमेश्वर के लोगों के बचाव के पीछे प्रार्थना ही थी l जब राजा को पता चला कि एक विशाल सेना उसके विरुद्ध आ रही है, उसने परमेश्वर के लोगों को प्रार्थना और उपवास के लिए बुलायाlलोगों ने परमेश्वर को याद दिलाया कि उसने उन्हें  बीते समयों में कैसे बचाया था l और यहोशापात ने कहा कि यदि आपदा उन पर आती है, “तलवार या मरी अथवा अकाल,” यह जानते हुए कि वह सुनेगा और उनको बचा लेगा वे परमेश्वर को पुकारेंगे (2 इतिहास 20:9) l

परमेश्वर ने अपने लोगों को आक्रमणकारी सेना से बचाया, और जब हम संकट में उसको पुकारते हैं वह हमारी सुनता है l चाहे जो भी आपकी चिंता हो——चाहे एक रिश्ते का मामला या प्राकृतिक संसार से कोई खतरा हो——उसे परमेश्वर के सामने प्रार्थना में ले जाएं l उसके लिए कुछ भी अधिक कठिन नहीं है l