मेरी खोई हुई सगाई की अंगूठी को पागल की तरह खोजने के दौरान मेरे गालों से आंसू बह निकले l सोफे के तकियों को उठाने और हमारे घर का हर एक कोना और दरार की सफाई के एक घंटे बाद, एलेन बोला, “मैं माफ़ी चाहता हूँ । हम दूसरा ले लेंगे l” 

“धन्यवाद,” मैंने उत्तर दिया l “लेकिन इसका भावनात्मक मूल्य इसकी सामग्री मूल्य से अधिक है l दूसरी अंगूठी उसकी जगह नहीं ले सकती है l” प्रार्थना करते हुए, मैं उस आभूषण की खोज जारी रखा । “परमेश्वर, कृपया, मुझे ढूंढने में मेरी मदद करें l”

बाद में, सप्ताह के शुरुआत में पहने हुए अपने स्वेटर के जेब में हाथ डालने पर, मुझे वह कीमती आभूषण मिल गया l “धन्यवाद, यीशु!” मैंने कहा । जब मैं और मेरा पति आनंदित हुए, मैंने वह अंगूठी पहन ली और उस उस स्त्री के दृष्टान्त को याद किया जिसने एक सिक्का खोया था (लुका 15:8-10) । उस स्त्री की तरह जिसने अपने खोये हुए चांदी के सिक्के को खोजने का यत्न किया था, मैं खोयी हुयी चीज़ के मूल्य को जान गयी थी l हम में से कोई भी अपने मूल्यवान चीज को पाने के लिए गलत नहीं थे । यीशु ने केवल उस कहानी का उपयोग अपने द्वारा बनाए गए प्रत्येक व्यक्ति को बचाने की अपनी इच्छा पर जोर देने के लिए किया l एक पापी के पश्चाताप का परिणाम स्वर्ग में उत्सव है l  

ऐसा व्यक्ति बनना कितना बड़ा उपहार होगा जो दूसरों के लिए उतनी ही लगन से प्रार्थना करता है जितना हम खोए हुए खजाने को पाने के लिए प्रार्थना करते हैं l यह मनाना क्या ही सौभाग्य है जब कोई पश्चाताप करता और अपना जीवन मसीह को समर्पित कर देता है, तो उसका जश्न मनाना क्या ही विशेषाधिकार है l अगर हमने यीशु पर अपना भरोसा रखा है, तो हम आभारी हो सकते हैं कि हमने किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार किये जाने की ख़ुशी का अनुभव किया है जिसने कभी हार नहीं मानी क्योंकि उसने सोचा कि हम खोजने लायक हैं l