जीवितों के लिए मुफ्त अंतिम-संस्कार l दक्षिण कोरिया में एक संस्थान  यही सेवा देती है l जब से यह 2012 में आरंभ हुई  है, 25,000 से अधिक लोगों ने──किशोर से लेकर सेवानिवृत लोगों तक── अपनी मृत्यु पर विचार करते हुए अपने जीवनों को सुधारने की आशा में ”जीवित अंतिम-संस्कार” सभाओं में भागीदारी की है l अधिकारी बताते हैं “दिखावटी मृत्यु सभाओं का अर्थ भागीदारों को उनके जीवनों के विषय एक सच्चा भाव देना है, कृतज्ञता प्रेरित करना है, और क्षमा देने में मदद, और परिवार और मित्रों के बीच पुनः सम्बन्ध स्थापित करना है l”

ये शब्द सभोपदेशक के लिखनेवाले शिक्षक की बुद्धिमत्ता को प्रतिध्वनित करते हैं l “सब मनुष्यों का अंत(मृत्यु) है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर सोचेगा” (सभोपदेशक 7:2) l मृत्यु हमें जीवन की लघुता की याद दिलाती है और कि जीवन जीने और अच्छे से प्रेम करने के लिए हमारे पास सीमित समय है l यह परमेश्वर के कुछ अच्छे उपहारों──जैसे धन/पैसा, सम्बन्ध, और सुख──पर हमारी पकड़ को ढीला करता है और हमें इसका आनंद यहाँ और वर्तमान में लेने के लिए स्वतंत्र करता है जब हम “स्वर्ग में धन इकठ्ठा [करते हैं], जहाँ न तो कीड़ा और न काई बिगाड़ते हैं, और जहाँ चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं” (मत्ती 6:20) l 

जब हम याद करते हैं कि मृत्यु किसी समय दस्तक दे सकती है, शायद यह हमें अपने माता-पिता से मुलाकात को न टालने को विवश करे, एक ख़ास तरीके से परमेश्वर की सेवा करने के हमारे निर्णय को विलंबित न होने दे, या हम अपने काम के ऊपर अपने बच्चों के साथ अपना  समय बिताने को प्राथमिकता दें l परमेश्वर की सहायता से, हम बुद्धिमत्ता से जीवन जीना सीख सकते हैं l